नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई गांव में हट्टी जनजाति की प्राचीन बहुपति प्रथा (पॉलीएंड्री) को जीवंत रखते हुए दो भाइयों प्रदीप नेगी और कपिल नेगी ने एक ही महिला सुनीता चौहान से शादी की। यह विवाह 12 से 14 जुलाई 2025 तक तीन दिनों तक चला, जिसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए। सुनीता कुन्हट गांव की रहने वाली है।
उसने कहा कि उन्होंने यह निर्णय बिना किसी दबाव के लिया और वह इस परंपरा का सम्मान करती हैं। प्रदीप सरकारी नौकरी में हैं, जबकि कपिल विदेश में कार्यरत हैं। इस शादी का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसने इस दुर्लभ प्रथा पर सबका ध्यान आकर्षित किया।
हट्टी समुदाय 2022 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त कर चुका
हट्टी समुदाय 2022 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त कर चुका है। इस परंपरा को ‘जोड़ीदार’ या ‘द्रौपदी प्रथा’ कहा जाता है। यह महाभारत की द्रौपदी से प्रेरित है। यह प्रथा सिरमौर, किन्नौर, लाहौल-स्पीति और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में प्रचलित है। केंद्रीय हट्टी समिति के महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री के अनुसार, यह परंपरा हजारों वर्ष पुरानी है और इसका उद्देश्य पारिवारिक जमीन का बंटवारा रोकना, भाईचारे को बढ़ावा देना और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह प्रथा पहाड़ी क्षेत्रों में बिखरी कृषि भूमि के प्रबंधन में भी मदद करती है।
हिमाचल प्रदेश के राजस्व कानून इसे ‘जोड़ीदार’ के रूप में मान्यता देते हैं
हालांकि, भारत में पॉलीएंड्री गैरकानूनी है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के राजस्व कानून इसे ‘जोड़ीदार’ के रूप में मान्यता देते हैं। हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भी इस प्रथा को मान्यता दी है। वकील रणसिंह चौहान ने कहा कि यह प्रथा परिवारों को एकजुट रखने और जमीन के बंटवारे को रोकने के लिए है।
बढ़ती शिक्षा और आर्थिक विकास के कारण यह प्रथा अब कम हो रही है। बधाना गांव में पिछले छह वर्षों में ऐसी पांच शादियां हुई हैं। यह विवाह ‘जजड़ा’ परंपरा के तहत हुआ, जिसमें दुल्हन बारात के साथ दूल्हे के गांव पहुंचती है और ‘सींज’ अनुष्ठान किया जाता है।