नई दिल्ली। कर्नाटक हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ी राहत देते हुए मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से जुड़े कथित भूमि घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपने की मांग खारिज कर दी है। अदालत ने साफ किया कि इस मामले की जांच लोकायुक्त पुलिस द्वारा ही जारी रहेगी। इससे मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी पार्वती बी.एम. को फिलहाल कानूनी राहत मिली है।
क्या है मामला?
यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा की गई भूमि आवंटन प्रक्रिया से जुड़ा है। आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती बी.एम. को कथित रूप से नियमों का उल्लंघन कर 14 भूखंड आवंटित किए गए थे। इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध किया और CBI जांच की मांग उठाई थी।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए कहा कि लोकायुक्त पुलिस द्वारा की जा रही जांच पर्याप्त है और इसे CBI को सौंपने की जरूरत नहीं है। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में पार्वती बी.एम. को समन भेजा था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस समन पर भी अंतरिम रोक लगा दी थी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक लोकायुक्त पुलिस की जांच पूरी नहीं होती, तब तक किसी अन्य एजेंसी को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके समर्थकों ने इसे न्याय की जीत बताया, जबकि विपक्षी भाजपा और जेडीएस ने सरकार पर भ्रष्टाचार को ढकने का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने कहा कि यह एक राजनीतिक रूप से प्रभावित फैसला है और उनकी पार्टी इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने पर विचार कर रही है।
क्या होगा आगे?
लोकायुक्त पुलिस इस मामले की जांच जारी रखेगी, और अगर कोई ठोस सबूत सामने आते हैं, तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनकी पत्नी को इस फैसले से राहत मिली है, लेकिन विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा।