नई दिल्ली। वक्फ बोर्डों में सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन विधेयक में बोर्ड में महिला सदस्यों को शामिल करने की सिफारिश की गई है। सरकारी सूत्रों ने रविवार को कहा कि बिल के मुताबिक सभी राज्यों के साथ-साथ केंद्रीय परिषद में भी दो महिलाओं की नियुक्ति की जाएगी।
सूत्रों ने कहा कि वर्तमान में महिलाएं वक्फ बोर्ड या परिषदों की सदस्य नहीं हैं, जो मस्जिदों और इस्लामी धार्मिक बंदोबस्तों का प्रबंधन और सुरक्षा करते हैं। कथित तौर पर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार वक्फ बोर्ड की शक्तियों को सीमित करने के लिए वक्फ अधिनियम में संशोधन करने के लिए तैयार है। शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट ने एक्ट में कुल 40 संशोधनों को मंजूरी दे दी।
हर एक राज्य बोर्ड में दो महिलाएं होंगी
सूत्रों ने बताया, “मुस्लिम महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। अगर कोई महिला तलाकशुदा है, तो उसे और उसके बच्चों को कोई अधिकार नहीं मिलता है। सरकार लैंगिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है। हर एक राज्य बोर्ड में दो महिलाएं होंगी।” सूत्रों ने कहा कि संशोधनों का उद्देश्य पारदर्शिता लाना है और मौजूदा अधिनियम के अनुसार, वक्फ संपत्ति को किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती है। सूत्रों ने दावा किया कि सऊदी अरब या ओमान जैसे मुस्लिम देशों में भी ऐसा कोई कानून नहीं है।
वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए
सूत्रों ने कहा, “एक बार जब कोई जमीन वक्फ के पास चली जाती है, तो आप इसे वापस नहीं ले सकते। शक्तिशाली मुसलमानों ने वक्फ बोर्ड पर कब्जा कर लिया है। केवल वे लोग जो वक्फ बोर्ड को नियंत्रित कर रहे हैं, वे ही इस अधिनियम के खिलाफ हैं।” सरकारी सूत्रों ने यह भी तर्क दिया कि भारत में मुसलमानों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों का अध्ययन करने वाली सच्चर समिति ने भी कहा था कि वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता होनी चाहिए।