आदित्‍य एल-1 पांच साल तक रोजाना भेजेगा 1,440 तस्‍वीरें, जानिए इसमें लगे 7 पेलोड क्या-क्या काम करेंगे?

आदित्‍य एल-1 पांच साल तक रोजाना भेजेगा 1,440 तस्‍वीरें, जानिए इसमें लगे 7 पेलोड क्या-क्या काम करेंगे?

आदित्‍य एल-1 की सफलता के बाद भारत ने स्पेस सेक्टर में एक और मील का पत्थर छू लिया है। शनिवार 6 जनवरी शाम करीब 4:00 बजे आदित्य एल 1 को एल 1 बिंदु की हेलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक पहुंचाया गया है। इसे सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य का पता लगाने के लिए तैयार किया गया है। भारत का पहला सौर मिशन आदित्य में सात पेलाड लगे हैं। तो आईए इस मिशन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक नजर डालते हैं।

क्या करेगा आदित्य एल-1 मिशन

Aditya-L1 राष्ट्रीय संसाधनों के भागीदारी वाला पूरी तरह से स्वदेशी प्रयास है। इसको बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एस्ट्रोफिजिक्स आईआईए ने विजिबल एनीमेशन लाइन कोरोना ग्राफ पेलोड बनाया है। यह सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा और यह ग्राउंड स्टेशन पर 5 साल तक रोजाना 1440 तस्वीर भेजेगा। पहली तस्वीर फरवरी के अंत तक मिलेगी।

क्यों महत्वपूर्ण है सूर्य का अध्ययन

सूरज परमाणु संलयन के माध्यम से उर्जा उत्पन्न करता है और सूर्य के प्रकाश मंडल का तापमान 6000 डिग्री सेल्सियस है। सूर्य की यह परत प्रकाश उत्सर्जित करती है, जो जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। सूर्य की सबसे बाहरी परत किरीट या कोरोना का तापमान कई लाख डिग्री सेल्सियस है। सूर्य पराबैंगनी और एक्स-रे विकिरण भी उत्सर्जित करता है, जो पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत घातक है। यह रहस्य है कि कोरोना सूर्य की आंतरिक परतों की तुलना में बहुत अधिक गर्म कैसे हैं। इसके साथ ही आदित्य एल 1 के पेलोड सूर्य के कई रहस्य को सुलझाने का प्रयास करेंगे।

इसके अलावा सूर्य पर विस्फोटों की निगरानी और सौर हवा का भी अध्ययन करने के लिए सौर वातावरण और कोरोना की लगातार निगरानी करने की जरूरत है। इस कार्य को जितना संभव हो सके, सूर्य के करीब से पूरा करना होगा। इससे सौर विस्फोटों की पूर्व चेतावनी देने में मदद मिलेगी और उनके कारण होने वाले व्यवधान को कम करने के लिए पहले से कदम उठाने में मदद मिलेगी।

सौर मिशन के सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य

• सौर वायुमंडल ‘क्रोमोस्फेयर और कोरोना’ की गतिशीलता और ऊष्मा का अध्ययन करेगा।

• सूर्य की सबसे बाहरी परत किरीट या कोरोना से विशाल पैमाने पर निकालने वाली ऊर्जा के बारे में अध्ययन करेगा।

• आंशिक रूप से आयनित प्लाज्मा की भौतिकी के बारे में अध्ययन करना।

• सौर वातावरण से प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों के बड़े पैमाने पर विस्फोट का अध्ययन और अंतरिक्ष मौसम की गतिविधियों को अध्ययन।

• सौर कंपन का अध्ययन करना।

आदित्य’ में लगे 7 पेलोड क्या-क्या काम करेंगे

1. सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (एसयूआइटी) इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉगी और एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे ने विकसित किया है। यह फोटोस्फीयर और क्रोमोस्फीयर की तस्वीर लेगा और इसके साथ-साथ सौर विकिरण को भी मापेगा।

2. आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एएसपीएक्स) और प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य सौर पवन और आयनों साथ-साथ सौर ऊर्जा का भी अध्ययन करेगा।

3. सोलर लो एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (एसओएलईएक्सएस) और हाई एनर्जी एला आर्बिटग एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (हेलाओएस) सौर ज्वालाओं का अध्ययन करेगा।

4. एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई टेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नोमीटर्स एला प्वाइंट पर चुंबकीय क्षेत्र को मापेगा।

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