ढ़ाका। बांग्लादेश के मायमंसिंह शहर में प्रख्यात फिल्म निर्माता सत्यजित रे के पैतृक घर को ढहाने की कार्रवाई ने भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव पैदा कर दिया था, लेकिन भारत के हस्तक्षेप के बाद बांग्लादेश ने इस तोड़फोड़ को रोक दिया है। यह घर सत्यजीत रे के दादा और प्रसिद्ध साहित्यकार उपेंद्रकिशोर राय चौधरी ने सदी भर पहले बनवाया था। यह मायमंसिंह के हरीकिशोर राय चौधरी मार्ग पर स्थित है। इसे 1989 से मायमंसिंह शिशु अकादमी के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन पिछले 10 वर्षों से यह जर्जर हालत में था। बांग्लादेशी अखबार ‘द डेली स्टार’ के अनुसार, इसे एक नए अर्ध-कंक्रीट ढांचे के लिए तोड़ा जा रहा था।
भारत के विदेश मंत्रालय ने 15 जुलाई को एक बयान में गहरा खेद जताते हुए बांग्लादेश सरकार से इस धरोहर को संरक्षित करने की अपील की थी। मंत्रालय ने इसे बंगाल सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बताते हुए इसे साहित्य संग्रहालय में बदलने और इसके पुनर्निर्माण में सहयोग की पेशकश की थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसे बेहद दुखद बताते हुए बांग्लादेश सरकार और भारत से हस्तक्षेप की मांग की थी।
बांग्लादेश की अपील पर तोड़फोड़ रोकी
16 जुलाई को, बांग्लादेश ने भारत की अपील पर कार्रवाई करते हुए तोड़फोड़ रोक दी और पुनर्निर्माण के लिए एक समिति गठित की। बांग्लादेश उच्चायोग के एक अधिकारी फैसल महमूद ने कहा, “यह इमारत संरक्षित धरोहर के रूप में सूचीबद्ध नहीं थी, जो हमारी चूक थी। सत्यजित रे हमारे लिए प्रिय हैं और हम इस धरोहर को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
बच्चों के लिए असुरक्षित बताकर तोड़फोड़ को उचित ठहराया
हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने शुरुआत में इसे बच्चों के लिए असुरक्षित बताकर तोड़फोड़ को उचित ठहराया था। सत्यजित रे के बेटे संदीप रे ने बताया कि उनके पिता 1987 में इस घर को एक वृत्तचित्र में शामिल करना चाहते थे, लेकिन इसकी जर्जर स्थिति के कारण योजना रद्द कर दी थी। यह घटना दोनों देशों के साझा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने की जरूरत को रेखांकित करती है।