चिराग पासवान ने सिविल सेवा में लेटरल एंट्री को बताया संविधान के खिलाफ, कहा- सरकार के समक्ष मामले को उठाएंगे

चिराग पासवान ने सिविल सेवा में लेटरल एंट्री को बताया संविधान के खिलाफ

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने सोमवार को सरकारी नौकरियों में लेटरल एंट्री नियुक्तियों की अवधारणा के खिलाफ अपनी बात रखी। ऐसी नियुक्तियों में आरक्षण के प्रावधानों पर जोर देते हुए पासवान ने कहा कि वह इस मामले को सरकार के समक्ष उठाएंगे। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भाजपा की प्रमुख सहयोगी है। पार्टी ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) में लेटरल एंट्री को पूरी तरह से गलत बताया।

यह पहली बार था, जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के किसी सहयोगी ने सरकारी पदों पर लेटरल एंट्री के मौजूदा प्रावधानों के खिलाफ बात की। पासवान ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, “सरकारी नौकरियों में जहां भी नियुक्तियां हों, वहां आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए। इसमें कोई किंतु-परंतु नहीं है।”

लेटरल एंट्री दलितों और संविधान के खिलाफ: चिराग पासवान

उन्होंने आगे कहा, “जिस तरह से यह जानकारी सामने आई है वह मेरे लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि मैं इस सरकार का हिस्सा हूं और इन मुद्दों को उठाने के लिए मेरे पास मंच है। अपनी पार्टी की ओर से बोलते हुए, हम बिल्कुल इसके पक्ष में नहीं हैं।” चिराग पासवान की टिप्पणी कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा लेटरल एंट्री के माध्यम से लोक सेवकों की भर्ती के सरकार के कदम को राष्ट्र-विरोधी कदम बताए जाने के एक दिन बाद आई है।

उन्होंने कहा, “लेटरल एंट्री दलितों, ओबीसी और आदिवासियों पर हमला है। बीजेपी का राम राज्य का विकृत संस्करण संविधान को नष्ट करना और बहुजनों से आरक्षण छीनना चाहता है।”

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