धर्मशाला। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने अपने उत्तराधिकारी के चयन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी मृत्यु के बाद 15वें दलाई लामा का चयन केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट करेगा और इसमें चीन या किसी अन्य बाहरी ताकत का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। यह बयान 6 जुलाई को उनके 90वें जन्मदिन से पहले धरमशाला में एक धार्मिक सभा के दौरान जारी किया गया। इस घोषणा से तिब्बती बौद्ध समुदाय और वैश्विक समर्थकों में उत्साह है, जबकि यह चीन के लिए करारा जवाब है, जो लंबे समय से तिब्बती धार्मिक परंपराओं पर नियंत्रण की कोशिश कर रहा है।
दलाई लामा, जिनका असली नाम तेनजिन ग्यात्सो है, 1959 में चीन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद भारत में निर्वासन में रह रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं पुष्टि करता हूं कि दलाई लामा की 600 साल पुरानी संस्था मेरे बाद भी जारी रहेगी। गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही मेरे पुनर्जन्म की मान्यता का एकमात्र अधिकार रखता है।” यह ट्रस्ट 2015 में दलाई लामा द्वारा स्थापित किया गया था, जो उनकी धार्मिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारियों को संभालता है।
चीन ने कहा था कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी उनकी सरकार करेगी
चीन ने दावा किया है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन उनकी सरकार करेगी, जैसा कि उसने 1995 में 11वें पंचेन लामा के मामले में किया था। तब दलाई लामा द्वारा मान्यता प्राप्त पंचेन लामा को हिरासत में लिया गया और चीन ने अपना उम्मीदवार नियुक्त किया। दलाई लामा ने इस तरह के हस्तक्षेप को खारिज करते हुए कहा कि तिब्बती बौद्ध परंपराओं के अनुसार ही चयन होगा।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि उनका पुनर्जन्म “स्वतंत्र दुनिया” में होगा, यानी चीन के बाहर, संभवतः भारत में। यह बयान तिब्बती संस्कृति और आध्यात्मिकता को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत, जहां 1 लाख से अधिक तिब्बती निर्वासित रहते हैं, इस मुद्दे में अहम भूमिका निभा सकता है। यह घोषणा भारत-चीन संबंधों में भी तनाव बढ़ा सकती है, क्योंकि बीजिंग दलाई लामा को “अलगाववादी” मानता है।