औरंगजेब की कब्र को लेकर दो गुटों में झगड़ा, कैसे रात में सुलग उठा नागपुर?

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के नागपुर शहर में सोमवार, 17 मार्च 2025 को औरंगजेब की कब्र को लेकर शुरू हुआ विवाद हिंसक झड़पों और आगजनी में बदल गया। शहर के महाल और हंसपुरी इलाकों में दो गुटों के बीच तनाव बढ़ने के बाद पत्थरबाजी, वाहनों में आगजनी और पुलिस पर हमले की घटनाएं सामने आईं। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इस हिंसा में कम से कम 11 लोग घायल हुए, जिनमें पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नागपुर के कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है।

विवाद की शुरुआत: औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग

यह विवाद तब शुरू हुआ जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने नागपुर के महाल गांधी गेट परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने औरंगजेब का पुतला जलाया। इन संगठनों का कहना था कि खुल्दाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) में स्थित औरंगजेब की कब्र को हटाया जाना चाहिए, क्योंकि उनका मानना है कि औरंगजेब एक “अत्याचारी शासक” था, और उसकी कब्र का महिमामंडन स्वीकार्य नहीं है।

प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने स्थिति को शांत कर लिया था, लेकिन शाम होते-होते मामला फिर भड़क उठा। शाम करीब 7:00 से 7:30 बजे के बीच शिवाजी चौक के पास एक समूह ने नारेबाजी शुरू की, जिसमें हिंदू संगठनों के प्रदर्शन के प्रति नाराजगी जाहिर की गई। इसके जवाब में दूसरा समूह भी नारेबाजी में शामिल हो गया, जिससे तनाव बढ़ गया। इसी बीच, एक अफवाह फैल गई कि विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल सहित हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन के दौरान पवित्र कलमा (इस्लामी प्रार्थना) लिखा कपड़ा और एक पवित्र पुस्तक जला दी। इस अफवाह ने आग में घी का काम किया और हालात बेकाबू हो गए।

हिंसा का दौर: पत्थरबाजी और आगजनी

अफवाह फैलते ही चिटनिस पार्क से भालदारपुरा इलाके तक हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों ने पुलिस पर बड़े-बड़े पत्थर फेंके, कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया, और आसपास की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया। एक जेसीबी मशीन सहित कई गाड़ियां जल गईं। स्थानीय लोगों ने बताया कि घरों की छतों से भी पत्थर फेंके गए, जिससे पुलिस हैरान थी कि इतने बड़े पत्थर कहां से आए। इस हिंसा में 11 लोग घायल हुए, जिनमें कुछ पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। नागपुर के ज्वाइंट कमिश्नर निसार तंबोली ने बताया कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है और जांच जारी है।

पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया। रात होते-होते हिंसा कोतवाली और गणेशपेठ इलाकों तक फैल गई, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दी गई। दमकलकर्मी और अतिरिक्त पुलिस बल मौके पर तैनात किए गए ताकि आग पर काबू पाया जा सके और स्थिति को नियंत्रित किया जा सके।

विवाद का कारण: अफवाहों का खेल

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, हिंसा की जड़ में एक गलतफहमी और अफवाहें थीं। प्रदर्शन के दौरान औरंगजेब का पुतला जलाने के बाद कुछ लोगों ने दावा किया कि उस पुतले पर रखी हरी चादर पर मजहबी शब्द लिखे थे, जिसे जलाया गया। यह अफवाह तेजी से फैली और हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। मुस्लिम संगठनों ने आरोप लगाया कि यह उनके धार्मिक भावनाओं पर हमला था और बजरंग दल के खिलाफ एफआईआर की मांग की। हालांकि, बजरंग दल ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने केवल औरंगजेब का पुतला जलाया था, न कि कोई पवित्र वस्तु।

नागपुर की मौजूदा स्थिति: कर्फ्यू और सुरक्षा के इंतजाम

आज सुबह 6:30 बजे तक, नागपुर में स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है। पुलिस आयुक्त डॉ. रविंदर कुमार सिंगल ने एक आदेश जारी कर कहा कि नागपुर शहर के कोतवाली, गणेशपेठ, लकड़गंज, पचपावली, शांतिनगर, सक्करदारा, नंदनवन, इमामवाड़ा, यशोधरा नगर और कपिल नगर पुलिस थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाया गया है। यह कर्फ्यू अगले आदेश तक लागू रहेगा।

महाल, चिटनिस पार्क और आसपास के इलाकों में भारी पुलिस बल तैनात है। राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ), दंगा नियंत्रण पुलिस और त्वरित प्रतिक्रिया दल (क्यूआरटी) को संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात किया गया है। पुलिस ने लगभग 50 लोगों को हिरासत में लिया है और हिंसा के पीछे की साजिश की जांच कर रही है।

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