नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के दौरान भगदड़ में 121 लोगों की जान जाने के एक हफ्ते बाद मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने मामले में लगभग 300 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है। सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में भगदड़ के पीछे भीड़भाड़ को मुख्य कारण बताया गया है। जांच पैनल की रिपोर्ट ने भगदड़ की घटना में ‘साजिश’ से भी इनकार नहीं किया और मामले की गहन जांच की सिफारिश की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घटना आयोजकों की लापरवाही के कारण हुई, क्योंकि वे भीड़ के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने में विफल रहे। इसमें यह भी कहा गया कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया।
एसडीएम सहित छह अधिकारी निलंबित
इसके अलावा, मामले की जांच के आधार पर, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) सहित छह अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। सत्संग के लिए 2 लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे, जबकि अधिकारियों से करीब 80,000 लोगों के लिए इजाजत मांगी थी। जानकारी के मुताबिक रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान शामिल किए गए हैं। रिपोर्ट में हाथरस के जिला मजिस्ट्रेट आशीष कुमार, पुलिस अधीक्षक निपुण अग्रवाल, एसडीएम, और अन्य के बयान भी शामिल हैं।
ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज
जिस दिन भगदड़ हुई थी, उस दिन ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों के बयान भी शामिल किए गए। एसआईटी रिपोर्ट में प्रभावित परिवारों के बयान भी शामिल हैं। इससे पहले उत्तर प्रदेश न्यायिक आयोग की टीम ने हाथरस भगदड़ मामले में कई चश्मदीदों के बयान दर्ज किए हैं। 6 जुलाई को हाथरस भगदड़ मामले में भोले बाबा, जिनका मूल नाम सूरज पाल सिंह है, के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उसी दिन, बाबा ने एक संदेश में कहा कि वह हाथरस भगदड़ की घटना से दुखी हैं।
वकील एपी सिंह का दावा
2 जुलाई को हाथरस में हुई भगदड़ के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को 5 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था। इस बीच, बाबा के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि यह दुर्घटना कार्यक्रम के दौरान कुछ अज्ञात लोगों द्वारा गैस छिड़कने के कारण हुई। सिंह ने दावा किया कि भगदड़ मचाने के बाद साजिशकर्ताओं का समूह कार्यक्रम स्थल से भाग गया।