नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा कि उनके राज्य में बदलती जनसांख्यिकी एक बड़ी चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि असम में मुस्लिम आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। बदलती जनसांख्यिकी का मुद्दा राजनीतिक नहीं बल्कि जीवन और मौत का सवाल है।
उन्होंने कहा कि जनसांख्यिकी बदलना मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। असम में आज मुस्लिम आबादी 40 फीसदी तक पहुंच गयी है। 1951 में, यह 12 प्रतिशत था। हमने कई जिले खो दिए हैं। मेरे लिए यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है।
2021 में भी उन्होंने जनसंख्या वृद्धि पर बोला था
यह पहली बार नहीं है जब हिमंत सरमा ने जनसंख्या वृद्धि के खिलाफ बात की है। जून 2021 में, राज्य में सरकार बनाने के तुरंत बाद हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा, “जनसंख्या विस्फोट असम में अल्पसंख्यक मुसलमानों के बीच आर्थिक असमानता और गरीबी का मूल कारण है।” उन्होंने राज्य में मुस्लिम बहुल इलाकों में लोगों के बीच जनसंख्या नियंत्रण के बारे में जागरूकता पैदा करने और गर्भनिरोधक वितरित करने की योजना की घोषणा की थी।
मुस्लिम समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करेगी
पिछले साल, असम सरकार ने कहा था कि वह राज्य के पांच स्वदेशी मुस्लिम समुदायों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण करेगी ताकि उनके उत्थान के लिए उपाय किए जा सकें। असम के मुख्यमंत्री ने अवैध अप्रवासियों के मुद्दे पर भी बात की और राज्य में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई की। मार्च में, नागरिकता संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन के बाद, हिमंत बिस्वा सरमा ने राज्य में बंगाली भाषी बांग्लादेशी मुसलमानों, जिन्हें ‘मिया’ के नाम से जाना जाता है, को स्वदेशी लोगों के रूप में मान्यता देने के लिए शर्तें रखीं।