नई दिल्ली। अमेरिका में भारतीय नागरिक और जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में शोधकर्ता बदर खान सूरी को हमास से कथित संबंधों और यहूदी-विरोधी विचार फैलाने के आरोप में हिरासत में लिया गया है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने सूरी को अमेरिका की विदेश नीति के लिए खतरा मानते हुए उनके वीजा को रद्द कर दिया है। अब उन्हें अमेरिका से निर्वासित किए जाने का खतरा है।
वर्जीनिया में घर के बाहर हिरासत में लिया गया
यूएस डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) के अनुसार, सूरी को सोमवार रात उनके वर्जीनिया स्थित आवास के बाहर संघीय एजेंटों ने हिरासत में लिया। हिरासत में लिए जाने से पहले सूरी को बताया गया कि उनका वीज़ा रद्द कर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, सूरी की पत्नी अमेरिकी नागरिक हैं और वह अब आव्रजन अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।
विदेश नीति के लिए खतरा बताकर निर्वासन की तैयारी
डीएचएस के बयान के अनुसार, विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने सूरी की गतिविधियों को अमेरिका की विदेश नीति के लिए खतरा मानते हुए उनके निर्वासन का आदेश दिया। ट्रंप प्रशासन ने आव्रजन कानून की एक दुर्लभ धारा का हवाला देते हुए उन्हें निर्वासित करने की तैयारी की है। इस धारा के तहत विदेश मंत्री को अधिकार है कि वह किसी गैर-नागरिक को अमेरिका की विदेश नीति के लिए खतरा मानकर निर्वासित कर सकता है।
राजनीतिक भेदभाव का आरोप
सूरी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और उन्हें उनकी पत्नी के फिलिस्तीनी मूल के कारण निशाना बनाया जा रहा है। उनके वकील ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “यदि संघर्ष समाधान पर काम करने वाला एक प्रतिष्ठित विद्वान सरकार के लिए विदेश नीति में खतरा है, तो समस्या विद्वान में नहीं, बल्कि सरकार में है।”
पूर्व में भी हुआ था ऐसा मामला
रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने इसी प्रावधान के तहत पिछले साल कोलंबिया विश्वविद्यालय के छात्र और ग्रीन कार्ड धारक महमूद खलील को निर्वासित किया था। खलील ने कथित तौर पर अमेरिका में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
आगे की कार्रवाई
बदर खान सूरी अब अमेरिकी आव्रजन अदालत में सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं। यदि अदालत ने उनके पक्ष में फैसला नहीं दिया, तो उन्हें निर्वासित किया जा सकता है।