बेंगलुरु। कर्नाटक के हावेरी जिले के एक सब्जी विक्रेता को कर्नाटक वाणिज्यिक कर विभाग ने 29 लाख रुपये का जीएसटी नोटिस जारी किया है, जिसने छोटे व्यापारियों के बीच हड़कंप मचा दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, यह नोटिस पिछले चार वर्षों (2021-22 से 2024-25) में 1.63 करोड़ रुपये के UPI लेनदेन के आधार पर जारी किया गया है। विभाग ने दावा किया कि विक्रेता ने 40 लाख रुपये से अधिक की वार्षिक आय होने के बावजूद जीएसटी पंजीकरण नहीं कराया, जो जीएसटी कानून का उल्लंघन है।
नोटिस में कहा गया है कि विक्रेता ने UPI के माध्यम से भारी मात्रा में लेनदेन किया, लेकिन जीएसटी रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया और न ही कर अदा किया। कर्नाटक वाणिज्यिक कर विभाग ने UPI सेवा प्रदाताओं से प्राप्त डेटा के आधार पर 14,000 ऐसे व्यापारियों को चिह्नित किया है, जिनके लेनदेन 40 लाख रुपये से अधिक हैं। हावेरी के इस विक्रेता, राजप्पा, ने बताया कि उनकी मासिक आय 50,000 से 60,000 रुपये के बीच है, जिसमें से अधिकांश खर्च सब्जियों की खरीद, किराए और कर्मचारियों के वेतन में चला जाता है। उन्होंने कहा, “हमारा मुनाफा केवल 10% है, और इसमें बर्बादी (खराब सब्जियां) शामिल है। 11 लाख रुपये सालाना जीएसटी कहां से देंगे?”
इस नोटिस के बाद UPI भुगतान स्वीकार करने से कतरा रहे
कर्नाटक में छोटे व्यापारी और स्ट्रीट वेंडर इस नोटिस के बाद UPI भुगतान स्वीकार करने से कतरा रहे हैं और नकद लेनदेन पर जोर दे रहे हैं। कई ने अपने UPI QR कोड हटा दिए हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि डिजिटल लेनदेन उनकी आय को उजागर कर सकता है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार की जीएसटी नीति की आलोचना की और कहा कि राज्य सरकार छोटे व्यापारियों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाएगी।
वाणिज्यिक कर विभाग के अतिरिक्त आयुक्त चंद्रशेखर नायक ने कहा कि व्यापारियों को घबराने की जरूरत नहीं है। वे अपने व्यवसाय का विवरण देकर स्थिति स्पष्ट कर सकते हैं, और छूट प्राप्त वस्तुओं पर कर नहीं लगेगा। फिर भी, यह मामला छोटे व्यापारियों के लिए चुनौती बन गया है, जो डिजिटल भुगतान और जीएसटी नियमों के बीच फंस गए हैं।