सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए किया जाता है पैप टेस्ट, जानिए किस उम्र में कराना चाहिए टेस्ट

पिछले दो दिनों से सर्वाइकल कैंसर चर्चा का विषय बना हुआ है। पूनम पांडे ने अपनी मौत ग़लत जानकारी दी और कहा कि उनकी मौत सर्वाइकल कैंसर के कारण हुई। हालांकि यह जानकारी गलत थी लेकिन असल में जागरूकता की कमी के कारण हर साल कई महिलाएं इस कैंसर के कारण अपनी जान गंवा देती हैं।

सर्वाइकल कैंसर के कारण हर साल हजारों महिलाओं की मौत हो जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस कैंसर को महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम और घातक कैंसर बताया है। अगर आप इस कैंसर से बचना चाहते हैं तो समय-समय पर इसके लक्षणों को समझकर जरूरी टेस्ट कराते रहें। प्रत्येक महिला को, विशेषकर एक निश्चित उम्र के बाद, समय-समय पर पैप टेस्ट करवाना चाहिए। इस टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआती चरण में ही लगाया जा सकता है। अगर इस कैंसर के बारे में पहली स्टेज में ही पता चल जाए तो मरीज की जान बचाई जा सकती है।

पैप टेस्ट क्या है?

पैप टेस्ट को पैप स्मीयर टेस्ट भी कहा जाता है। यह टेस्ट सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए एक नियमित जांच प्रक्रिया है। यह टेस्ट यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि गर्भाशय ग्रीवा में कैंसर कोशिकाएं बढ़ रही हैं या नहीं।

पैप टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट में गर्भाशय ग्रीवा से कुछ कोशिकाएं निकाली जाती हैं। फिर इन कोशिकाओं में होने वाले बदलावों की प्रयोगशाला में जांच की जाती है। इस टेस्ट को करते समय असुविधा तो होती है लेकिन लंबे समय तक दर्द नहीं होता है।

पैप टेस्ट कब कराएं?

अमेरिकन कैंसर सोसायटी के मुताबिक, 25 साल की उम्र के बाद हर महिला को हर पांच साल में एक बार पैप टेस्ट कराना चाहिए। ताकि समय रहते ही इस बीमारी के बारे में पता चल सके। नियमित टेस्ट यौन रूप से सक्रिय महिलाओं के लिए बहुत मददगार साबित होता है।

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