नई दिल्ली। यमन की राजधानी सना में मौत की सजा का सामना कर रही केरल की नर्स निमिषा प्रिया को बचाने के लिए अंतिम क्षणों में जोरदार प्रयास किए जा रहे हैं। 36 वर्षीय निमिषा को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था और उनकी फांसी 16 जुलाई 2025 को निर्धारित है।
इस मामले में नई उम्मीद तब जगी जब भारत के प्रमुख सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु और ग्रैंड मुफ्ती कांतपुरम ए.पी. अबूबकर मुस्लियार ने हस्तक्षेप किया। उनके प्रयासों से यमन में तलाल के परिवार के साथ बातचीत शुरू हुई है, जिसमें शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ (दिया) के जरिए माफी की संभावना तलाशी जा रही है।
केरल के पलक्कड़ से यमन जाकर नर्सिंग का काम शुरू किया
निमिषा ने 2008 में केरल के पलक्कड़ से यमन जाकर नर्सिंग का काम शुरू किया था। 2015 में उन्होंने तलाल के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला, लेकिन तलाल पर धन की हेराफेरी और निमिषा का पासपोर्ट हड़पने का आरोप लगा। निमिषा का दावा है कि तलाल ने उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और फर्जी दस्तावेज बनाकर उनकी शादी का दावा किया।
पासपोर्ट वापस लेने के लिए निमिषा ने तलाल को बेहोशी की दवा दी, लेकिन ओवरडोज के कारण उनकी मौत हो गई। इसके बाद निमिषा को 2020 में मौत की सजा सुनाई गई, जिसे 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने बरकरार रखा।
बैठक में ब्लड मनी के रूप में 11 करोड़ रुपये की पेशकश की गई
कांतपुरम ने यमनी सुन्नी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज के माध्यम से तलाल के परिवार से संपर्क स्थापित किया। मंगलवार को धमार में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें तलाल के भाई, स्थानीय आदिवासी नेता और यमनी अधिकारी शामिल थे। इस बैठक में ब्लड मनी के रूप में 11 करोड़ रुपये की पेशकश की गई है।
भारत सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वे हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन यमन में राजनयिक सीमाओं के कारण चुनौतियां हैं। निमिषा की मां प्रेमा कुमारी, जो 2024 से सना में हैं, अपनी बेटी को बचाने के लिए लगातार कोशिश कर रही हैं। ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ और सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम भी इस प्रयास में जुटे हैं। निमिषा का भाग्य अब तलाल के परिवार के फैसले पर टिका है।