नई दिल्ली। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति के खिलाफ उसकी पत्नी द्वारा अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए दायर की गई एफआईआर को इस टिप्पणी के साथ रद्द कर दिया कि यह कानूनन अपराध नहीं है क्योंकि उसकी पत्नी उससे विवाहित थी।
न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने कहा कि एफआईआर तुच्छ आरोपों के आधार पर दर्ज की गई थी या नहीं, इस पर विचार करने के बाद अदालत इस निष्कर्ष पर पहुंची कि पति द्वारा कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध आईपीसी की धारा 377 के तहत अपराध नहीं है, इस पर आगे विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं है।
शख्स ने एफआईआर रद्द करने की दी थी याचिका
आदेश बुधवार को जारी किया गया और इसका विवरण गुरुवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। आदेश में कहा गया है, “वैवाहिक दुष्कर्म को अब तक मान्यता नहीं दी गई है। तदनुसार, पुलिस स्टेशन कोतवाली, जबलपुर में दर्ज अपराध संख्या 377/2022 में एफआईआर और आवेदक (पति) के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद्द किया जाता है।” शख्स ने अपनी पत्नी की शिकायत पर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दायर की।