मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने अपने भारत विरोधी रुख पर कायम रहते हुए संसद को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी देश को हमारी संप्रभुता में हस्तक्षेप करने या उसे कमजोर करने की अनुमति नहीं देगा। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, उन्होंने बताया कि इस बात पर नई दिल्ली और माले सहमत हुए हैं कि 10 मई तक भारतीय सैनिक मालदीव छोड़ देंगे। राष्ट्रपति मुइज्जू ने कहा कि भारतीय सैनिक द्वीप राष्ट्र में तीन विमानन प्लेटफार्मों में से एक पर 10 मार्च तक हट जाएंगे और 10 मई तक अन्य दो पर मौजूद सैनिक हट जाएंगे।
राष्ट्रपति ने कहा, “भारत के साथ इस समझौते को मालदीव नवीनीकृत नहीं करेगा। किसी भी देश को हम हमारी संप्रभुता में हस्तक्षेप करने या उसे कमजोर करने की अनुमति नहीं देंगे।” वहीं हाल ही में एक संयुक्त बयान जारी कर विपक्षी दलों मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) और डेमोक्रेट्स ने द्वीप राष्ट्र की विदेश नीति में बदलाव को ‘बेहद हानिकारक’ बताया था।
भारत के 80 सैन्यकर्मी मालदीव में मौजूद
बता दें कि भारत के करीब 80 सैन्यकर्मी अभी मालदीव में हैं, जो मुख्य रूप से दो हेलीकाप्टर और एक विमान का संचालन करने के लिए हैं। इनके माध्यम से सैकड़ों मेडिकल बचाव एवं मानवीय सहायता मिशन को पूरा किया गया है। पिछले साल नवंबर में मुइज्जू के सत्ता में आने के बाद से दोनों देशों के संबंधों में तनाव आ गया था।
भारतीय सैनिकों को वापस भेजना चुनावी वादे में शामिल
गौरतलब है कि व्यापक रूप से चीन समर्थक नेता माने जाने वाले मुइज्जू ने कार्यभार संभालने के बाद कहा था कि वह देश से भारतीय सैन्यकर्मियों को निष्कासित कर अपने चुनावी वादे को पूरा करेंगे। बता दें कि पिछले साल सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनावों में मुइज्जू (45) ने भारत समर्थक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हरा दिया था। 17 नवंबर को मालदीव के नये राष्ट्रपति के रूप में मुइज्जू ने शपथ ली थी।
बता दें कि हिंद महासागर क्षेत्र में मालदीव भारत का एक प्रमुख समुद्री पड़ोसी है और रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्रों में पूर्ववर्ती सरकार के तहत संपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों में (मालदीव की) प्रगति हुई थी।