नई दिल्ली। महंगाई के स्तर पर भारत के लिए सुखद खबर है। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत की खुदरा मुद्रास्फीति इस साल फरवरी में 5.09 प्रतिशत की तुलना में मार्च में घटकर 4.85 प्रतिशत हो गई। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति पिछले साल मार्च में 5.66 फीसदी थी।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने शुक्रवार को मार्च 2024 के लिए ग्रामीण (आर), शहरी (यू) और संयुक्त (सी) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) और संबंधित उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) जारी किया। जारी डेटा स्थिर मूल्य निर्धारण वातावरण दिखा को प्रदर्शित करता है, जो सामान्य परिवारों को उनके रोज के खर्चों में राहत प्रदान करता है।
ग्रामीण मुद्रास्फीति में हुई बढ़ोतरी
खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट ने भी समग्र मुद्रास्फीति को कम करने में भूमिका निभाई है। मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति फरवरी के 8.66 प्रतिशत से घटकर 8.52 प्रतिशत रह गई। जहां शहरी मुद्रास्फीति फरवरी में 4.78 प्रतिशत से घटकर मार्च में 4.14 प्रतिशत हो गई। वहीं ग्रामीण मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी देखी गई। ग्रामीण मुद्रास्फीति फरवरी के 4.34 प्रतिशत से बढ़कर 5.45 प्रतिशत हो गई।
खुदरा मुद्रास्फीति में आई नरमी
शहरी और ग्रामीण मुद्रास्फीति दरों के बीच यह असमानता विभिन्न क्षेत्रों में उपभोग पैटर्न और आपूर्ति श्रृंखला की गतिशीलता में भिन्नता को दर्शाती है। अन्य सकारात्मक आर्थिक संकेतकों के बीच खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी आई है। मार्च के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में मजबूत वृद्धि देखी गई, जो जनवरी 2024 में 3.8 प्रतिशत की तुलना में 5.7 प्रतिशत बढ़ गई।
RBI ने रेपो रेट को रखा था अपरिवर्तित
नवीनतम मुद्रास्फीति डेटा आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) द्वारा 5 अप्रैल को नीति रेपो दर को लगातार सातवीं बार 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के निर्णय की घोषणा के एक सप्ताह बाद आया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि वित्त वर्ष 2025 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति का अनुमान पहले के 4.7 फीसदी से घटाकर 4.5 फीसदी कर दिया गया है।