नई दिल्ली। मुख्य कोच के रूप में गौतम गंभीर के कामकाज का पुनर्मूल्यांकन अगले महीने चैंपियंस ट्रॉफी के बाद किया जाएगा। दरअसल, पिछले साल जुलाई में गंभीर के पदभार संभालने के बाद से भारतीय टीम 10 में से छह टेस्ट और एक द्विपक्षीय वनडे सीरीज भी हार चुकी है। विराट कोहली और रोहित शर्मा के खराब फॉर्म के कारण गंभीर के अंतरराष्ट्रीय भविष्य को काफी उथल-पुथल में डाल दिया है।
इस कारण गंभीर की स्थिति भी थोड़ी डांवाडोल हो गई है। ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर टेस्ट श्रृंखला के दौरान प्रमुख खिलाड़ियों के साथ उनकी अनबन की अटकलें भी इसमें शामिल हो गई हैं, जिसमें भारत 1-3 से हार गया था। अगर भारत चैंपियंस ट्रॉफी में अच्छा प्रदर्शन नहीं करता है, तो गंभीर का मुख्य कोच का पद मुश्किल में पड़ सकता है। हालांकि, उनका अनुबंध 2027 विश्व कप तक है, लेकिन मूल्यांकन की प्रक्रिया जारी है।
गंभीर ने अभी तक कोई ठोस परिणाम नहीं दिए
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर पीटीआई को बताया, “खेल का संबंध परिणाम से है और अब तक गंभीर ने कोई ठोस परिणाम नहीं दिया है।” बीसीसीआई की ओर से ऑस्ट्रेलिया में टीम के प्रदर्शन की समीक्षा पहले ही की जा चुकी है। समझा जाता है कि टीम संस्कृति के मुद्दे पर गंभीर और वरिष्ठ खिलाड़ी एकमत नहीं हैं।
सुपरस्टार संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं गंभीर
गंभीर इतने सालों से चली आ रही सुपरस्टार संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं। 2012 में कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान के रूप में, उन्होंने सीएसके के खिलाफ आईपीएल फाइनल के लिए ब्रेंडन मैकुलम को प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया था। गंभीर की कार्यप्रणाली को करीब से देखने वाले एक सूत्र ने कहा, “वह सुपरस्टार संस्कृति को खत्म करने के लिए यहां आए हैं और यही वजह है कि कुछ खिलाड़ियों को परेशानी हो रही है।”