मुंबई। महाराष्ट्र सरकार द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम विवादों में घिर गया है, जब संसद की अनुमान समिति की 75वीं वर्षगांठ के लिए मुंबई के विधान भवन में आयोजित भोज में मेहमानों को चांदी की थालियों में भोजन परोसा गया। इस दो दिवसीय आयोजन में देशभर से आए करीब 600 मेहमान शामिल हुए, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उद्घाटन किया। कांग्रेस और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे ‘फिजूलखर्ची’ करार देते हुए सरकार पर निशाना साधा, क्योंकि राज्य वित्तीय संकट से जूझ रहा है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता विजय वडेट्टीवार ने इस आयोजन को ‘अति खर्चीला’ बताया। उन्होंने कहा, “जब राज्य दिवालिया होने की कगार पर है, तब चांदी की थालियों में 5000 रुपये प्रति व्यक्ति का भोजन परोसने की क्या जरूरत थी?” प्रत्येक थाली की किराए की कीमत 550 रुपये थी, और सामाजिक कार्यकर्ता कुंभार के अनुसार, 600 मेहमानों के लिए कुल 27 लाख रुपये खर्च किए गए।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल ने भी सवाल उठाया कि क्या यह खर्च धुले के सरकारी अतिथि गृह में मिले नकदी से जुड़ा है, जहां अनुमान समिति के दौरे से पहले भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी।
विपक्ष ने इसे किसानों और बेरोजगार युवाओं की अनदेखी का प्रतीक बताया। कांग्रेस ने कहा कि जहां 71 लाख युवा बेरोजगार हैं और किसान आत्महत्या कर रहे हैं, वहां सरकार का यह खर्च जनता के साथ मजाक है। शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने भी इसे भ्रष्टाचार का उदाहरण बताया। हालांकि, सरकारी सूत्रों ने ‘फिजूलखर्ची’ के दावों का खंडन किया और इसे सामान्य आयोजन बताया।
यह विवाद महाराष्ट्र की महायुति सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकता है, जो पहले से ही आर्थिक तंगी और आंतरिक मतभेदों से जूझ रही है। यह घटना सार्वजनिक धन के उपयोग और सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाती है।