नई दिल्ली। संसद के पहले सत्र में डिप्टी स्पीकर पद और नीट पेपर लीक मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई। अब कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने पीएम मोदी पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टकराव को महत्व देते हैं, भले ही वह आम सहमति बनाने के मूल्य का उपदेश देते हैं।
द हिंदू में एक संपादकीय में सोनिया गांधी ने कहा कि पीएम मोदी इस बार के लोकसभा चुनाव में कमजोर जनादेश के साथ लौटे हैं। राज्यसभा सांसद ने कहा, “प्रधानमंत्री ऐसा बर्ताव कर रहे हैं जैसे कुछ भी नहीं बदला है। वह आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देते हैं।”
‘लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को मिलना चाहिए’
उन्होंने आगे कहा, “दुख की बात है कि 18वीं लोकसभा के पहले कुछ दिन उत्साहवर्धक नहीं रहे। उम्मीद कर रहे थे कि हम सदन में वर्तमान सरकार का कोई बदला हुआ रुख देखेंगे, लेकिन यह धराशायी हो गई है।” कांग्रेस संसदीय दल के अध्यक्ष ने कहा कि परंपरा के मुताबिक लोकसभा में उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को दिया जाना चाहिए था।
उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल उचित अनुरोध उस शासन द्वारा अस्वीकार्य पाया गया जिसने 17वीं लोकसभा में उपाध्यक्ष का संवैधानिक पद नहीं भरा था।” जबकि तत्कालीन भाजपा सहयोगी अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरई एनडीए सरकार के पहले कार्यकाल में उपाध्यक्ष थे। यह पद 2019-24 के बीच खाली था।
आपातकाल पर क्या बोलीं सोनिया गांधी
आपातकाल का मुद्दा उठाकर भाजपा के कांग्रेस के खिलाफ आक्रामक होने पर सोनिया गांधी ने कहा कि संविधान पर हमले से ध्यान भटकाने के लिए प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे को तूल दिया है। गांधी ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि इसे स्पीकर ने भी उठाया, जिनकी स्थिति सख्त निष्पक्षता के अलावा किसी भी सार्वजनिक राजनीतिक रुख के साथ असंगत है।
उन्होंने कहा, “यह इतिहास का एक तथ्य है कि मार्च 1977 में, हमारे देश के लोगों ने आपातकाल पर एक स्पष्ट फैसला दिया, जिसे बिना किसी हिचकिचाहट और स्पष्ट रूप से स्वीकार किया गया। तीन साल से भी कम समय के बाद, मार्च 1977 में हार मानने वाली पार्टी की वापसी हुई। उन्होंने कहा, “मोदी और उनकी पार्टी को कभी भी बहुमत नहीं मिला और सत्ता में आना भी उसी इतिहास का हिस्सा है।”