नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच एक महत्वपूर्ण व्यापार समझौते की घोषणा 8 जुलाई से पहले होने की संभावना है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा विश्व स्तर पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने की 9 जुलाई की समय सीमा नजदीक आ रही है। यह समझौता, जिसके लिए भारतीय वार्ताकारों की एक टीम, वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में, वाशिंगटन में अंतिम दौर की बातचीत कर रही है, दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। सूत्रों के अनुसार, सभी शर्तों पर सहमति बन चुकी है और यह अंतरिम समझौता कृषि, ऑटोमोबाइल, औद्योगिक सामान और श्रम-प्रधान उत्पादों जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है।
अमेरिका कुछ औद्योगिक सामान, इलेक्ट्रिक वाहनों, वाइन, पेट्रोकेमिकल उत्पादों, डेयरी और सेब, नट्स, और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों जैसे कृषि उत्पादों पर टैरिफ में रियायत चाहता है। वहीं, भारत टेक्सटाइल, रत्न और आभूषण, चमड़ा, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में रियायत की मांग कर रहा है। भारत ने पहले ही पिछले बजट में झींगा, हाई-एंड मोटरसाइकिल और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स पर टैरिफ कम किया था।
दोनों देशों ने व्यापार 500 बिलियन डॉलर तक पहुंचाने का रखा लक्ष्य
ट्रम्प ने हाल ही में कहा कि उनकी सरकार सभी व्यापारिक बाधाओं को हटाने की दिशा में काम कर रही है, जिसे उन्होंने अकल्पनीय बताया। दोनों देशों ने फरवरी 2025 में द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक 191 बिलियन डॉलर से 500 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था। भारत ने अमेरिकी मांस, मछली और फलों जैसे उत्पादों पर टैरिफ को 30-100% से घटाकर 0-5% करने का प्रस्ताव दिया है, साथ ही एक फॉरवर्ड मोस्ट-फेवर्ड-नेशन क्लॉज की पेशकश की है, जो अमेरिका को अन्य देशों के साथ भविष्य में होने वाले बेहतर टैरिफ शर्तों का लाभ देगा।
हालांकि, डेयरी और जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत के लिए रियायत देना चुनौतीपूर्ण है। ट्रम्प की टैरिफ नीति और भारत-पाकिस्तान संघर्ष में मध्यस्थता के उनके दावों ने कुछ राजनयिक तनाव पैदा किया है, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी ने खारिज किया था। फिर भी, दोनों देश इस समझौते को अंतिम रूप देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा।