नई दिल्ली। बॉम्बे हाई कोर्ट ने बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी की हिरासत में मौत पर मुंबई पुलिस की खिंचाई करते हुए कहा कि इसमें गड़बड़ी दिख रही है और इस घटना की निष्पक्ष जांच की जरूरत है। कोर्ट ने पुलिस को आरोपी अक्षय शिंदे को जेल से बाहर लाए जाने से लेकर शिवाजी अस्पताल में मृत घोषित किए जाने तक की सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया।
पुलिस ने कहा कि बदलापुर के एक स्कूल में दो लड़कियों के साथ यौन शोषण के आरोपी शिंदे को तलोजा जेल से बदलापुर ले जाया जा रहा था, तभी उसने सहायक पुलिस निरीक्षक नीलेश मोरे की पिस्तौल छीन ली और एस्कॉर्टिंग पुलिस टीम पर गोली चला दी, जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए। इसके बाद पुलिस की जवाबी फायरिंग में शिंदे मारा गया।
प्रथम दृष्टटा मामले में गड़बड़ी: हाईकोर्ट
राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले मुख्य लोक अभियोजक द्वारा घटनाक्रम का विवरण सुनाए जाने के बाद, न्यायालय ने कहा, “इस पर विश्वास करना कठिन है। प्रथम दृष्टया, इसमें गड़बड़ी है। एक आम आदमी पिस्तौल नहीं चला सकता, जबकि रिवॉल्वर कोई भी व्यक्ति चला सकता है। एक कमजोर आदमी पिस्तौल नहीं चला सकता, क्योंकि इसके लिए ताकत की जरूरत होती है।”
आरोपी के पिता ने कोर्ट में दायर की याचिका
हाईकोर्ट आरोपी के पिता अन्ना शिंदे द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिन्होंने फर्जी मुठभेड़ में अपने बेटे की मौत की विशेष जांच दल द्वारा जांच की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर शिंदे की हत्या की गई।