नई दिल्ली। भारतीय धीरज धावक सुकांत सिंह सुकी ने ऑस्ट्रेलिया में आयोजित विश्व के सबसे कठिन अल्ट्रामैराथन ‘अनरीजनेबल ईस्ट 200 माइल’ को पूरा कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। 33 वर्षीय सुकी ने 325 किलोमीटर की दूरी 105 घंटे 31 मिनट में बिना नींद के चार रातों तक दौड़कर पूरी की। इस रेस में 27 धावकों में से केवल 20 ही फिनिश लाइन तक पहुंचे और सुकी इस साल इसमें भाग लेने वाले एकमात्र भारतीय थे। भारत के ऑस्ट्रेलिया में उच्चायुक्त ने उनकी इस उपलब्धि की सराहना की।
सुकी ने इस अनुभव को क्रूर जीवित रहने की चुनौती बताया और कहा, “हमारा दिमाग और शरीर जो हासिल कर सकता है, उसकी कोई सीमा नहीं।” उन्होंने इस दौड़ के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य, विशेष रूप से एडीएचडी के प्रति जागरूकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा, जो उनकी अपनी चुनौतियों से प्रेरित है। सुकी ने दो किताबें लिखी हैं—‘लिमिटलेस ह्यूमन्स’ और ‘चेसिंग जीनियस’— जिनमें उन्होंने अपनी अल्ट्रामैराथन यात्रा और मानसिक बाधाओं को पार करने के अनुभव साझा किए हैं।
305 किमी की दूरी 102 घंटे में की थी पूरी
यह सुकी की पहली बड़ी उपलब्धि नहीं है। पिछले साल उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में ही डेलीरियस वेस्ट अल्ट्रामैराथन में 350 किलोमीटर की दूरी 102 घंटे 27 मिनट में पूरी की थी। 2016 से ऑस्ट्रेलिया में रह रहे सुकी ने 2019 में अवसाद से जूझते हुए दौड़ को अपनी जिंदगी का आधार बनाया। उनकी प्रेरणा अमेरिकी अल्ट्रामैराथन धावक डेविड गॉगिन्स से मिलती है, जिन्हें दुनिया का सबसे कठिन व्यक्ति माना जाता है।
गॉगिन्स की तरह, सुकी भी मानसिक दृढ़ता और शारीरिक सीमाओं को तोड़ने में विश्वास रखते हैं। सुकी की इस उपलब्धि ने न केवल भारत का नाम रोशन किया, बल्कि यह भी दिखाया कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से असंभव को संभव बनाया जा सकता है।