नई दिल्ली। केरल के कई जिलों में वेस्ट नाइल फीवर के मामले सामने आने लगे हैं। इस कारण देशभर में लोगों की टेंशन बढ़ गई है। केरल सरकार के हेल्थ डिपार्टमेंट ने मंगलवार (7 मई) को राज्य में वेस्ट नाइल फीवर को लेकर अलर्ट जारी किया। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के कोझिकोड, त्रिशूर और मलप्पुरम में छह मामले सामने आए हैं। वहीं, त्रिशूर में इस फीवर से 79 साल के बुजुर्ग की मौत की खबर है।
वेस्ट नाइल एक वायरस है जो मच्छर के काटने से फैलता है। वेस्ट नाइल वायरस से संक्रमित अधिकांश लोगों में लक्षण नहीं होते हैं। लगभग 5 में से 1 व्यक्ति में बुखार, दाने निकलना और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण होते हैं। वेस्ट नाइल फीवर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में गंभीर सूजन (एन्सेफलाइटिस और मेनिनजाइटिस) का कारण बन सकता है।
वेस्ट नाइल वायरस कितना खतरनाक है?
वेस्ट नाइल वायरस उत्तरी अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व, ऑस्ट्रेलिया और एशिया सहित दुनिया के कई हिस्सों में पाया जाता है। यह अमेरिका में मच्छरों से फैलने वाला सबसे आम वायरस है, जिसके 49 राज्यों में मामले दर्ज किए गए हैं। 1999 में देश में पहला मामला आने के बाद से अमेरिका में 51,000 से अधिक रोगसूचक मामले सामने आए हैं।
वेस्ट नाइल फीवर के लक्षण
वेस्ट नाइल वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, मतली, उल्टी, दस्त, दाने और बहुत कुछ शामिल हैं। अधिकांश समय, वेस्ट नाइल वायरस के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। 1% से भी कम लोगों में तंत्रिका तंत्र के गंभीर लक्षण विकसित होते हैं। इसका कारण है वेस्ट नाइल एन्सेफलाइटिस और मेनिनजाइटिस।
अधिक गंभीर लक्षण
- तीव्र, बहुत दर्दनाक सिरदर्द।
- तेज बुखार (103 डिग्री फ़ारेनहाइट या 39.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर)।
- गर्दन में अकड़न
- मतली आना
- मांसपेशियों में कमजोरी
- कंपकंपी या ऐंठन
- दौरा आना
- पक्षाघात होना
- अधिक बेहोशी
वेस्ट नाइल वायरस का कारण क्या है?
वेस्ट नाइल एक आर्बोवायरस है या एक वायरस है जो आपको आर्थ्रोपॉड से मिलता है। आर्थ्रोपोड एक बड़ा समूह है जिसमें कीड़े शामिल हैं। यह फ्लेविवायरस जीनस का एक आरएनए वायरस है । इसी तरह के वायरस डेंगू बुखार , पीला बुखार और जीका का कारण बनते हैं ।
वेस्ट नाइल वायरस कैसे फैलता है?
संक्रमित मच्छर वेस्ट नाइल वायरस फैलाते हैं। वे आम तौर पर संक्रमित पक्षी को काटने से वायरस प्राप्त करते हैं। इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मनुष्यों को यह सीधे पक्षियों से मिलता है। वायरस मच्छर के अंदर पनपता है और जब यह आपको काटता है तो या किसी अन्य जानवर को तो यह फैल जाता है।