नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 को अधिसूचित कर दिया, जिसका उद्देश्य देश भर में आयोजित सार्वजनिक परीक्षाओं और सामान्य प्रवेश परीक्षाओं में अनुचित साधनों को रोकना है। यह कदम NEET और यूजीसी नेट परीक्षाओं के संचालन में कथित कदाचार को लेकर बड़े पैमाने पर विवाद के बीच उठाया गया है।
इस साल फरवरी में संसद द्वारा पारित कानून में धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए न्यूनतम तीन से पांच साल की कैद की सजा का प्रस्ताव है और धोखाधड़ी के संगठित अपराधों में शामिल लोगों को पांच से 10 साल की कैद और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना न्यूनतम सजा का प्रावधान है।
संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान
यदि कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह कोई संगठित अपराध करता है, जिसमें परीक्षा प्राधिकरण, सेवा प्रदाता, या कोई अन्य संस्था शामिल है, तो उन्हें कम से कम पांच साल की कैद की सजा दी जाएगी, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है और यह कानून कहता है कि जुर्माना 1 करोड़ रुपये से कम नहीं होगा। कानून में किसी संस्थान के संगठित पेपर लीक अपराध में शामिल पाए जाने पर उसकी संपत्ति कुर्क करने और जब्त करने का भी प्रावधान है और परीक्षा की आनुपातिक लागत भी उससे वसूली जाएगी।
अपराध गैर-जमानती होगा
कानून के अंतर्गत आने वाले अपराध गैर-जमानती हैं। कोई भी अधिकारी जो पुलिस उपाधीक्षक या सहायक पुलिस आयुक्त के पद से नीचे न हो, अधिनियम के तहत किसी भी अपराध की जांच कर सकता है। इसके अतिरिक्त, केंद्र सरकार के पास किसी भी जांच को केंद्रीय एजेंसी को सौंपने की शक्ति है। यह अधिनियम संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग, रेलवे, बैंकिंग भर्ती परीक्षाओं और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित सभी कंप्यूटर-आधारित परीक्षाओं को शामिल करता है।