नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ आज यानि 9 अप्रैल 2024 मंगलवार से हो रहा है। अगले 9 दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूप मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी।
नवरात्रि में घटस्थापना का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यताओं के अनुसार इस अनुष्ठान को करने से शक्ति की देवी मां दुर्गा घर में वास करती है और तमाम दुख, दोष दूर रहते हैं।
चैत्र नवरात्रि 2024 तिथि
पंचांग अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल 2024 को रात 11.50 मिनट से आरंभ होकर 9 अप्रैल 2024 को रात 08.30 मिनट तक रहेगी।
- चैत्र नवरात्रि शुरू – 9 अप्रैल 2024
- चैत्र नवरात्रि समाप्त – 17 अप्रैल 2024
- घटस्थापना- 9 अप्रैल 2024
- कलश स्थापना मुहूर्त- सुबह 06.02-सुबह 10.16
- अभिजित मुहूर्त- सुबह 11.57-दोपहर 12.48
घटस्थापना की सामग्री
घटस्थापना के लिए इन सामग्री का होना जरूरी है। जौ बोने के लिए चौड़े मुंह वाला मिट्टी का पात्र, स्वच्छ मिट्टी, मिट्टी या तांबे का कलश साथ में ढक्कन, सुपारी सिक्का, इत्र, मिठाई, कलावा, नारियल, लाल कपड़ा, गंगाजल, दूर्वा, आम या अशोक के पत्ते, सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज), अक्षत, लाल पुष्प, सिंदूर, लौंग, इलायची और पान।
कैसे करें घटस्थापना/कलश स्थापना
- कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त पूर्व या उत्तर दिशा या फिर ईशान कोण में कलश की स्थापना करें। इस जगह पूजा की
- चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं अक्षत अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें।
- घटस्थापना के लिए सबसे पहले तांबा, मिट्टी के कलश शुद्ध जल भर लें, फिर इसमें थोड़ा-सा गंगाजल मिलाएं।
- कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी डालें।
- फिर कलश के मुख पर आम या अशोक के पत्ते इस प्रकार रखें कि वे आधे बाहर व आधे कलश में रहे। इस पर ढक्कन लगा दें और ऊपर से पात्र में चावल भर कर रखें।
- अब जटा वाले नारियल पर मौली से बांधकर या चुनरी ओढ़ा कर कलश के ऊपर रखें.कलश के पूजा की चौकी पर रखना है।
- एक मिट्टी के पात्र में स्वच्छ मिटि्टी डालकर 7 तरह के अनाज बोएं. इसे चौकी पर रखें।
- अब अखंड ज्योति प्रज्वलित कर सबसे पहले गणपति जी का आव्हान करें, नवग्रहों की पूजा कर मां दुर्गा का पूजन करें।
मां शैलपुत्री का पूजन
चैत्र नवरात्रि का पहला दिन देवी शैलपुत्री को समर्पित है। देवी शैलपुत्री को सफेद रंग नारंगी और लाल भी प्रिय है। घटस्थापना के बाद षोडोपचार विधि से देवी शैलुपत्री की पूजा करें। मां शैलपुत्री को कुमकुम, सफेद चंदन, हल्दी, अक्षत, सिंदूर, पान, सुपारी, लौंग, नारियल 16 श्रृंगार का सामान अर्पित करें। घी से बनी मिठाई या रसगुल्ले का भोग लगाएं। सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।। इस मंत्र का जाप करें। फिर आरती करें।
घटस्थापना का मंत्र
कलशस्य मुखे विष्णु: कण्ठे रुद्र: समाश्रित:
मूले त्वस्य स्थितो ब्रह्मा मध्य मातृगणा: स्मृता: