नई दिल्ली। दिल्ली में दिवाली के बाद प्रदूषण स्तर में तेजी से वृद्धि देखी गई, जिससे राजधानी की हवा ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है। दिवाली पर पटाखों के उपयोग के कारण हवा में प्रदूषक तत्वों की मात्रा में भारी इजाफा हुआ। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के आनंद विहार, आईटीओ और द्वारका जैसे इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के आसपास पहुंच गया, जिससे वहां का वायु गुणवत्ता स्तर खतरनाक हो गया है। दिल्ली का औसत AQI दिवाली के तुरंत बाद 300 से ऊपर दर्ज किया गया, जो ‘खतरनाक’ श्रेणी में आता है और नागरिकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
पराली जलाने से भी दिल्ली की हवा में प्रदूषण बढ़ता है, खासकर सर्दियों में जब तापमान में गिरावट और हवा की कम गति प्रदूषक तत्वों को निचली सतह पर रोक देती है। दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं, जैसे कि ‘रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ’ अभियान और कंस्ट्रक्शन गतिविधियों पर प्रतिबंध। इसके बावजूद, नागरिकों को दिवाली पर पटाखों का उपयोग कम करने की अपील की गई थी, लेकिन लोगों ने बड़े पैमाने पर पटाखों का उपयोग किया।
प्रदूषण का अधिक प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर
डॉक्टरों के अनुसार, इस प्रदूषण का अधिक प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर पड़ रहा है, जो श्वसन, हृदय और अस्थमा जैसी समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं। प्रदूषण के इन बढ़े हुए स्तरों को कम करने के लिए सरकार ने ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (GRAP) लागू किया है, जिसमें स्कूलों और निर्माण स्थलों पर सख्त नियम लागू किए जा रहे हैं।
दिवाली के बाद वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर: गोपाल राय
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि इस बार दिवाली के बाद वायु प्रदूषण की स्थिति गंभीर हो गई है, और प्रदूषण कम करने के लिए अधिक उपायों पर विचार किया जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की हवा की गुणवत्ता तब तक स्थिर नहीं हो सकती जब तक कि इस तरह के सामूहिक प्रयास जारी न रहें।
मास्क पहनने और बाहर जाने से बचने की सलाह
यह स्थिति नागरिकों के लिए चिंता का विषय है, और दिल्ली सरकार नागरिकों को मास्क पहनने, बाहर जाने से बचने और घर में वायु शुद्धिकरण उपकरणों का उपयोग करने की सलाह दे रही है। हालांकि, प्रदूषण के इन उपायों का दीर्घकालिक असर तभी संभव है जब प्रदूषण स्रोतों को स्थायी रूप से नियंत्रित किया जाए। इस गंभीर स्थिति के मद्देनजर, दिल्ली के निवासियों को जागरूक होना और अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करना अनिवार्य है।