विद्युत जामवाल की फिल्म का नाम सुनते ही लोगों के जेहन में एक्शन फिल्म का दृश्य सामने आने लगते हैं। वहीं इस बार अपना खुद का लेवल पार कर चुके हैं। इस बार उनकी अभिनीत फिल्म ‘क्रैक जीतेगा तो जिएगा’ एक्शन से भरपूर फिल्म है। ये फिल्म एक्शन के लिहाज से ऐसी ऊंचाइयों को छू रही है, जिसकी शायद कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।
हिंदी में सिनेमा के इतिहास में ऐसा एक्शन आपने शायद पहले कभी नहीं देखा होगा। फिल्म के पहले सीन का जिक्र करें तो एक ट्रेन के सीन आपको हैरत में डाल देगा। ये आपको फिल्म को आखिरी तक आपको देखने के लिए मजबूर कर देगा। फिल्म की कहानी सिद्धू की है जो मुंबई में रहता है और वह एक अंडरग्राउंड एक्सट्रीम खेल प्रतियोगिता जिसका नाम ‘मैदान’ है। वहीं फिल्म की कहानी सिद्धू की है, जोकि मुंबई में रहता है और वो एक अंडरग्राउंड एक्सट्रीम खेल प्रतियोगिता इसका नाम ‘मैदान’ है। उसमें हिस्सा लेना चाहता है। ये प्रतियोगिता बेहद खतरों से भरी होती है।
कुछ इस तरह की है कहानी
वहीं इसी प्रतियोगिता में उसके भाई की भी मौत हो जाती है। इसी के चलते उसका परिवार उसके साथ नहीं होता है।सिद्धू किसी भी हद तक जाकर इसको जितना चाहता है। इसके लिए वो पोलैंड भी चला जाता है। पोलैंड में ‘मैदान’ प्रतियोगिता का आयोजन देव यानी अर्जुन रामपाल के हाथों होता है और इसी के चलते देव और सिद्धू एक दूसरे से मुलाकात होती है। यहीं से कहानी एक रोमांचक मोड़ पर पहुंच जाती है क्योंकि देव के चलते ही सिद्धू के भाई की मौत हुई होती है। जैसे ही सिद्धू को इसके बारे में पता चलता है वो बदले की भावना से ओतप्रोत होकर और भी मजबूत हो जाता है।
एक्शन को अलग लेवल पर ले जा रहे विद्युत
हालांकि उसके इस बदले को पूरा करने में पैट्रिशिया नोवाक यानी कि एमी जैक्सन उसकी खासा मदद करती है। भाई की मौत का प्रतिशोध लेने के लिए सिद्धू देव को एक दौड़ की चुनौती देता है। ये अंतिम दौड़ खास तौर पर एक्शन सिनेमा प्रेमियों के लिए बेहद निश्चित तौर पर रोमांचित कर देने वाली होती है। एक्शन से लबरेज है फिल्म। इसमें कोई दो राय नहीं है। इस फिल्म में विद्युत खुद को चुनौती देते हुए अपने एक्शन लेवल को एक अलग ही लेवल ले जाते नजर आए हैं। उन्होंने जो एक्शन और स्टंट फिल्माए हैं, वो अपने आप में बेमिसाल है।