शंभू बॉर्डर पर किसानों ने ट्रैक्टरों-ट्रालियों में बसाया घर, AC-कूलर से लेकर TV-फ्रिज तक की सुविधा; लंगर भी चल रहा

शंभू बॉर्डर

दिल्ली कूच के इरादे से निकले किसानों ने शंभू बॉर्डर पर ट्रैक्टरों-ट्रालियों में अपना घर बसा लिया है। 5 दिन से डटे किसानों ने मॉडिफाइड ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में बेडरूम के साथ-साथ रहने खाने का पूरा इंतजाम कर रखा है और इतना ही नहीं कई मॉडिफाइड ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में AC, कूलर, TV, फ्रिज भी लगे हुए हैं। किसान अपने साथ 6 माह का राशन साथ लेकर आए हैं।

शंभू बॉर्डर पर किसानों ने बसाया अपना घर

नए-नए रूपों में सजे ट्रैक्टर-ट्रॉलियां ग्रामीण झलक पेश कर रही हैं और वहीं रहन-सहन में अपनापन भी झलक रहा है। दिल्ली कूच के इरादे से निकले 15 हजार किसान शंभू बॉर्डर पर 1000 से अधिक रंग-बिरंगे ट्रैक्टर ट्रॉलियां लेकर पहुंचे हैं। किसानों ने ट्रैक्टरों में ही बेडरूम बना रखा है और सामान रखने की जगह के साथ-साथ रसोई भी है। कुछ ट्रैक्टर ट्रालियां ऐसी है, जिनमें AC, कूलर, TV, फ्रिज भी लगे हुए हैं। हर ट्राली में बल्ब भी लगा है और इसे चलाने के लिए ट्रैक्टर में जनरेटर फिट है।

6 माह का राशन साथ लेकर चले हैं किसान

गुरदासपुर के गांव चाचोकी के रहने वाले किसान रणजीत सिंह और जसपाल सिंह ने बताया कि जिस दिन घर से निकले थे, उस दिन ही अंदाजा लगा लिया था कि यह लड़ाई बहुत लंबी चलने वाली है, इसलिए वह 6 माह का राशन साथ लेकर चले हैं।

लगातार चल रहा है लंगर

5 दिन से डटे किसानों ने मॉडिफाइड ट्रैक्टर ट्रालियों में बेडरूम के साथ-साथ रहने खाने का भी पूरा इंतजाम कर रखा है। इसके साथ किसान भाई बड़े स्तर पर दूध, खीर, जलेबी, पूरी छोले, पेय पदार्थ के अलावा दाल रोटी का लंगर सारा दिन चला रहे हैं। इसके लिए महिलाएं भी पूरी तरह से डटी हुई है। रात को ज्यादातर किसान अपने ट्रैक्टर ट्रॉलियों में सोते हैं और बाकी कुछ किसान सड़कों पर ही बिस्तर लगाकर लेट जाते हैं।

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