भारत ने मेहुल चोकसी के स्विट्जरलैंड भागने की योजना को कैसे विफल किया? पढ़ें पूरी कहानी

नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के मुख्य आरोपी मेहुल चोकसी को बेल्जियम में गिरफ्तार कर लिया गया है, जो भारत के लिए एक बड़ी सफलता है। यह कार्रवाई भारतीय एजेंसियों की सात साल की अथक कोशिशों का नतीजा है, जिन्होंने तीन देशों में फैले इस मामले में कई चुनौतियों का सामना किया।

चोकसी गीतांजलि ग्रुप के मालिक हैं। उन पर अपने भतीजे नीरव मोदी के साथ मिलकर पीएनबी से 12,636 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। वह 2018 में भारत से फरार हो गया था और एंटीगुआ में नागरिकता लेकर छिपा हुआ था। सूत्रों के अनुसार, चोकसी हाल ही में बेल्जियम पहुंचा था और वहां से स्विट्जरलैंड भागने की योजना बना रहा था, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने समय रहते उसे पकड़ लिया।

उसने अपनी भारतीय और एंटीगुआ नागरिकता को छिपाया

चोकसी की गिरफ्तारी 12 अप्रैल 2025 को बेल्जियम के एक अस्पताल से हुई, जहां वह इलाज करा रहा था। भारतीय एजेंसियों, सीबीआई और ईडी ने पिछले साल उसकी बेल्जियम में मौजूदगी की जानकारी हासिल की थी और स्थानीय अधिकारियों को सतर्क किया। बेल्जियम पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया, जब पता चला कि वह नकली दस्तावेजों के जरिए वहां रेजिडेंसी कार्ड हासिल करने की कोशिश कर रहा था। उसने अपनी भारतीय और एंटीगुआ नागरिकता को छिपाया था। चोकसी की पत्नी प्रीति बेल्जियम की नागरिक हैं, जिसके चलते उसने वहां शरण लेने की योजना बनाई थी।

भारतीय एजेंटों ने अपहरण कर डोमिनिका ले गया

इससे पहले 2021 में चोकसी डोमिनिका में अवैध प्रवेश के आरोप में पकड़ा गया था, लेकिन 51 दिन जेल में रहने के बाद वहां से छूट गया था। उसने दावा किया था कि उसे भारतीय एजेंटों ने अपहरण कर डोमिनिका ले जाया था। हाल ही में इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस हटा लिया था, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने हार नहीं मानी और बेल्जियम में नया प्रत्यर्पण अनुरोध दायर किया। चोकसी के वकील ने मुंबई कोर्ट में कहा था कि वह ब्लड कैंसर के इलाज के लिए बेल्जियम में है और यात्रा करने में असमर्थ है, लेकिन भारत ने इस दलील को खारिज कर दिया।

बेहतरीन वकीलों की मदद से कानूनी लड़ाई लड़ेगा

अब चोकसी बेल्जियम के हिरासत केंद्र में है और भारत उसका प्रत्यर्पण चाहता है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वह यूरोप के बेहतरीन वकीलों की मदद से कानूनी लड़ाई लड़ेगा, जैसा विजय माल्या ने किया। यह मामला भारत की आर्थिक अपराधियों के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एक अहम कदम है।

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