प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने के बढ़ते चलन पर ICMR ने चेताया, अत्यधिक सेवन से हो सकती है परेशानी; पढ़ें गाइडलाइंस

प्रोटीन सप्लीमेंट्स लेने के बढ़ते चलन पर ICMR ने चेताया

नई दिल्ली। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने बॉडी मास बढ़ाने के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी जारी की है। ये सप्लीमेंट्स आमतौर पर अंडे, डेयरी उत्पाद, मट्ठा और सोयाबीन, मटर और चावल जैसे विभिन्न पौधे-आधारित स्रोतों से बने प्रोटीन पाउडर के रूप में उपलब्ध हैं, जिन्होंने फिटनेस के प्रति उत्साही और मांसपेशियों के विकास के लक्ष्य वाले लोगों के बीच काफी लोकप्रियता हासिल की है।

प्रोटीन सप्लीमेंट्स के प्रयोग से प्रभाव

आईसीएमआर ने इन सप्लीमेंट्स के नियमित सेवन से जुड़ी संभावित कमियों का उल्लेख किया है। प्रोटीन पाउडर में अतिरिक्त शर्करा, गैर-कैलोरी मिठास और कृत्रिम स्वाद शामिल हो सकते हैं, जो उनके ओवरऑल स्वास्थ्य लाभों को नुकसान पहुंचा सकता है।

शोध बताते हैं कि प्रोटीन सप्लीमेंट के लंबे समय तक अत्यधिक सेवन से कई बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है। खासकर प्रोटीन सप्लीमेंट के लंबे समय तक सेवन से ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट (EGFR) और सीरम क्रिएटिनिन के स्तर में वृद्धि हो सकती है। इसका सीधा असर किडनी पर पड़ता है। इसके अलावा एसिड-ऐश प्रोटीन से भरपूर डाइट से कैल्शियम की हानि हो सकती है, जो हड्डियों को नुकसान पहुंचा सकता है।

आईसीएमआर द्वारा आहार संबंधी दिशा-निर्देश

आईसीएमआर-एनआईएन (राष्ट्रीय पोषण संस्थान) की निदेशक डॉ हेमलता आर के नेतृत्व में गठित विशेषज्ञों एक समिति ने समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाने के उद्देश्य से भारतीयों के लिए आहार संबंधी दिशा-निर्देशों के बारे में जानकारी दी है।

1. नमक और चीनी का सेवन कम करें। भोजन में अल्ट्रा-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को कम करें।
2. पोषण संबंधी जानकारी के लिए फूड लेबल को जरूर पढ़ें।
3. बड़ी मात्रा में प्रोटीन पाउडर के लंबे समय तक सेवन करने से हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है।
4. चीनी की खपत कुल ऊर्जा सेवन के 5% से कम तक सीमित होनी चाहिए।
5. संतुलित आहार में अनाज और बाजरा से 45% से अधिक कैलोरी नहीं होनी चाहिए।
6. दाल, बीन्स और मांस से मिलने वाली कैलोरी में चीनी का योगदान केवल 15% होना चाहिए।
7. अधिकांश कैलोरी प्राकृतिक स्रोतों जैसे नट्स, सब्जियां, फल और दूध से आनी चाहिए।
8. कुल वसा का सेवन ऊर्जा के 30% से अधिक नहीं होना चाहिए।
9. दालों और मांस की ऊंची कीमत के कारण कई भारतीय अनाज पर निर्भर हैं। इससे पर्याप्त महत्वपूर्ण पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जो डाइजेस्टिव सिस्टम को प्रभावित कर सकता है और कम उम्र में भी इंसुलिन प्रतिरोध और संबंधित समस्याओं की संभावना बढ़ा सकता है।
10. भारत की कुल बीमारी का लगभग 56.4% खराब आहार संबंधी आदतों से जुड़ा हुआ है।
11. एक्सरसाइज करने और स्वस्थ आहार अपनाने से कोरोनरी हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की संभावना काफी कम हो सकती है।
12. स्वस्थ जीवनशैली विकल्प टाइप 2 मधुमेह के 5 में से 4 मामलों (80%) को रोक सकते हैं।

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