नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाए गए आपातकाल की कड़ी आलोचना की है। अपने एक लेख में उन्होंने इसे भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती बताया। थरूर ने लिखा कि आपातकाल ने दिखाया कि कैसे धीरे-धीरे आजादी छीनी जा सकती है। उन्होंने इसे लोकतंत्र के समर्थकों के लिए एक चेतावनी बताया।
थरूर ने अपने लेख में कहा कि 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया, जिसने देश में डर और दमन का माहौल बना दिया। इस दौरान पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। थरूर ने लिखा कि इंदिरा गांधी ने दावा किया था कि आपातकाल देश में व्यवस्था और अनुशासन लाने के लिए जरूरी था, लेकिन यह मानवाधिकारों के उल्लंघन का कारण बना।
नसबंदी अभियान की भी आलोचना की
उन्होंने विशेष रूप से संजय गांधी के नेतृत्व में चली नसबंदी अभियान की आलोचना की। इस अभियान में गरीब और ग्रामीण इलाकों में लोगों पर जबरदस्ती की गई, जिसे थरूर ने क्रूरता का उदाहरण बताया। इसके अलावा, दिल्ली जैसे शहरों में झुग्गी-झोपड़ियों को बेरहमी से तोड़ा गया, जिससे हजारों लोग बेघर हो गए। थरूर ने कहा कि इन “अतिरेक” ने लोगों में गहरा आघात और अविश्वास पैदा किया।
थरूर ने यह भी बताया कि उस समय न्यायपालिका भी दबाव में थी और सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों के मूल अधिकारों को निलंबित करने के फैसले को सही ठहराया था। हालांकि, 1977 में आपातकाल हटने के बाद हुए चुनाव में जनता ने इंदिरा गांधी और उनकी पार्टी को सत्ता से बाहर कर दिया। थरूर ने कहा कि आज का भारत 1975 से बहुत अलग और मजबूत लोकतंत्र है, लेकिन आपातकाल हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र को हमेशा संरक्षित करना होगा।