नई दिल्ली। बांग्लादेश में छात्रों का प्रदर्शन लगातार बढ़ता जा रहा है। अधिकारियों ने देशव्यापी कर्फ्यू लगा दिया है और पुलिस को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए हैं। वहीं देश की शीर्ष अदालत विवादास्पद नौकरी कोटा पर फैसला देने की तैयारी कर रही है। नौकरी कोटा ही विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा देशव्यापी आंदोलन को जन्म दिया है।
सुप्रीम कोर्ट रविवार को इस बात पर फैसला सुनाने वाला है कि सिविल सेवा नौकरी कोटा खत्म किया जाए या नहीं। इसके विरोध में हिंसा और झड़पें हुईं, जिसमें कम से कम 133 लोगों की मौत हो गई।
हाईकोर्ट ने कोटा बहाल किया था
सुप्रीम कोर्ट रविवार को फैसला करेगा कि सिविल सेवा नौकरी कोटा खत्म किया जाए या नहीं। 1971 के मुक्ति संग्राम के दिग्गजों के रिश्तेदारों की याचिकाओं के बाद उच्च न्यायालय ने पिछले महीने कोटा बहाल कर दिया था, जिससे विरोध की लहर शुरू हो गई थी।
बढ़ती अशांति को रोकने के लिए पूरे बांग्लादेश में सख्त कर्फ्यू लगा दिया गया है और सैनिक शहरों में गश्त कर रहे हैं। लोगों को आवश्यक काम निपटाने की अनुमति देने के लिए शनिवार दोपहर को कुछ देर के लिए कर्फ्यू हटा लिया गया।
प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने के आदेश
सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादिर ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि पुलिस अधिकारियों को कर्फ्यू का उल्लंघन करने वालों पर गोली चलाने का अधिकार दिया गया है। विश्वविद्यालय परिसरों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया, पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में कई पुलिस अधिकारियों सहित कम से कम 133 लोगों की मौत हो गई।
क्या है हिंसा का कारण?
दरअसल, देश में छात्रों का प्रदर्शन हिंसक इसलिए हो गया है, क्योंकि एक विशेष समूहों के लिए आधे से अधिक सिविल सेवा पदों पर आरक्षण की व्यवस्था है। इसमें 1971 में पाकिस्तान से आजादी के लिए देश की लड़ाई के दिग्गजों के बच्चे भी शामिल हैं।