नई दिल्ली। सऊदी अरब ने 2030 तक आते-आते लोगों को भविष्य का एक शहर ‘NEOM’ देने की घोषणा की थी, लेकिन उसके इस प्रोजेक्ट में रुकावट आ गई है। रिपोर्टों के मुताबिक, सऊदी अरब ने ‘द लाइन’ के लिए अपनी योजना वापस ले ली है। यह योजना एक विशाल, भविष्यवादी शहर जिसमें शीशे से बने गगनचुंबी इमारतों को तैयार करने की योजना थी। ब्लूमबर्ग द्वारा देखे गए दस्तावेज के अनुसार, इस योजना में लगे मजदूरों को हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
दरअसल, सऊदी के ‘द लाइन’ परियोजना के तहत 170 किलोमीटर लंबा और 200 मीटर चौड़ा शहर बसाने की योजना थी। विश्लेषक भी इस परियोजना के बारे में लंबे समय से संदेह जता रहे थे। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के एक पूर्व कर्मचारी ने बताया कि यह शहर वास्तविकता से काफी दूर है। साल 2022 की ब्लूमबर्ग की जांच में पाया गया कि यह प्रोजेक्ट कई असफलताओं से घिरा हुआ है। साल 2024 के बजट में NEOM शहर के लिए सरकार ने बजट का एलान नहीं किया।
बजट और योजना में की गई कटौती
सऊदी प्रिंस अपने यहां नकली चंद्रमा, दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग और भविष्य का शहर बनाना चाह रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सऊदी ने जिस शहर को बसाने का प्लान बनाया है, अभी तक ऐसी तकनीक का अविष्कार ही नहीं हुआ है। इसको देखते हुए इस शहर की लंबाई को कम करके महज 2.4 किलोमीटर कर दिया गया है। यहां रहने वाले 15 लाख लोगों को रोबोट और आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की मदद से सेवा दी जानी थी। साल 2030 तक इस शहर में 15 लाख लोगों को बसाना था, लेकिन अब इसमें महज 3 लाख लोगों को बसाया जाएगा।
आखिर क्यों सऊदी अरब ने बनाई थी यह योजना
हम सभी जानते हैं कि भविष्य ग्रीन एनर्जी की तरफ शिफ्ट हो रहा है। इसके अलावा कई रिसर्च बताते हैं कि जल्द ही जमीन के नीचे का क्रूड ऑयल खत्म हो जाएगा। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 2052 तक दुनिया से क्रूड ऑयल खत्म हो जाएंगे। ऐसे में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने देश की अर्थव्यवस्था को तेल से दूसरी तरफ शिफ्ट करने की प्लानिंग बनाई और इसके अंतर्गत नियोम सिटी बनाने का फैसला लिया। हालांकि इस तरह की योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए कोई विशेषज्ञता नहीं थी।