नई दिल्ली। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को लेकर एक सनसनीखेज बयान दिया है। जेलेंस्की ने दावा किया कि पुतिन ‘जल्द ही मर जाएंगे’ और इसके बाद रूस-यूक्रेन युद्ध का अंत हो जाएगा। यह बयान बुधवार को पेरिस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आया, जहां जेलेंस्की फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ यूरोपीय नेताओं के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे।
जेलेंस्की का यह दावा तब सामने आया, जब रूस ने उनके गृहनगर क्रिवी रिह पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया, जिसके बाद यूक्रेन ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी।
जेलेंस्की ने कहा, “पुतिन जल्द ही मर जाएंगे, और सब कुछ खत्म हो जाएगा। उनकी सेहत ठीक नहीं है, और उनकी मृत्यु इस युद्ध को रोक सकती है।” हालांकि, उन्होंने इस दावे के पीछे कोई ठोस सबूत नहीं पेश किया। पुतिन की सेहत को लेकर अक्सर अटकलें लगती रही हैं, लेकिन क्रेमलिन ने हमेशा इन खबरों को खारिज किया है।
यूक्रेन अपनी संप्रभुता से नहीं करेगा समझौता: जेलेंस्की
जेलेंस्की ने यह भी कहा कि वह अमेरिका पर भरोसा करते हैं कि वह पुतिन को बिना शर्त युद्धविराम के लिए मजबूर करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूक्रेन अपनी संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं करेगा और रूस को कब्जे वाली जमीन छोड़नी होगी।
अमेरिका ने रूस-यूक्रेन के बीच रखा युद्धविराम का प्रस्ताव
यह बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका ने रूस और यूक्रेन के बीच 30 दिनों के युद्धविराम का प्रस्ताव रखा है। इस प्रस्ताव को जेलेंस्की ने स्वीकार कर लिया है, जबकि पुतिन ने सैद्धांतिक सहमति दी, लेकिन कई शर्तें जोड़ीं, जैसे यूक्रेन में नाटो बलों की अनुपस्थिति। दूसरी ओर, रूस ने हाल ही में यूक्रेन के खिलाफ हमलों को तेज कर दिया है। क्रिवी रिह पर हुए हमले में कई नागरिक घायल हुए, और यूक्रेन ने इसे युद्ध अपराध करार दिया। जेलेंस्की ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से रूस पर और सख्त प्रतिबंध लगाने की मांग की।
यूक्रेन और रूस के बीच तनाव चरम पर
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने भी इस मौके पर कहा कि रूस शांति की बात करता है, लेकिन जमीन पर उसकी कार्रवाइयां उलटी हैं। उन्होंने यूक्रेन को 2 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त सैन्य सहायता देने का ऐलान किया। इस बीच, यूक्रेन और रूस के बीच तनाव चरम पर है, और जेलेंस्की का यह बयान दोनों देशों के रिश्तों को और तल्ख कर सकता है। यह देखना बाकी है कि क्या यह दावा हकीकत बनता है या सिर्फ मनोवैज्ञानिक दबाव की रणनीति है।