नई दिल्ली। मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। इस बार उनके निशाने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण हैं। कुणाल ने अपने हालिया स्टैंड-अप शो ‘नया भारत: ए कॉमेडी स्पेशल’ में शिंदे पर तंज कसते हुए उन्हें ‘गद्दार’ कहा, जिसके बाद शिवसेना कार्यकर्ताओं ने मुंबई के खार इलाके में स्थित द हेबिटेट स्टूडियो में तोड़फोड़ की। इस घटना के बाद कुणाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और मुंबई पुलिस ने उन्हें समन जारी किया।
विवाद यहीं नहीं थमा। कुणाल ने बुधवार को एक नया पैरोडी गाना ‘हवा हवाई’ रिलीज किया, जिसमें उन्होंने निर्मला सीतारमण और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा। इस वीडियो को यूट्यूब पर अपलोड करने के बाद म्यूजिक कंपनी टी-सीरीज ने कॉपीराइट उल्लंघन का हवाला देते हुए इसकी दृश्यता को ब्लॉक कर दिया।
कुणाल ने टी-सीरीज को बनाया निशाना
कुणाल ने टी-सीरीज पर निशाना साधते हुए एक्स पर लिखा, “हाय @TSeries, कठपुतली बनना बंद करो। पैरोडी और व्यंग्य कानूनी तौर पर फेयर यूज के अंतर्गत आते हैं। मैंने गाने के मूल बोल या संगीत का इस्तेमाल नहीं किया। अगर आप इसे हटाते हैं, तो हर कवर सॉन्ग/डांस वीडियो हटाया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि भारत में हर एकाधिकार माफिया से कम नहीं है और लोगों से वीडियो को डाउनलोड करने की अपील की।
शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने स्टूडियो में की तोड़फोड़
कुणाल के शिंदे पर तंज का मामला तब शुरू हुआ, जब उन्होंने अपने शो में 2022 में शिवसेना के विभाजन और शिंदे के बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर एक पैरोडी गाना गाया। इसने शिवसेना कार्यकर्ताओं को भड़का दिया, जिसके बाद उन्होंने हेबिटेट स्टूडियो पर हमला किया और वहां तोड़फोड़ की। इसके जवाब में कुणाल ने कहा कि वह अपने बयानों के लिए माफी नहीं मांगेंगे और यह उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है। दूसरी ओर, एकनाथ शिंदे ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा होती है और कुणाल का यह कृत्य ‘सुपारी लेकर बोलने’ जैसा है।
मुंबई पुलिस ने कुणाल को दूसरा समन जारी किया
इस बीच, मुंबई पुलिस ने कुणाल को दूसरा समन जारी किया है, जिसमें उनकी सात दिन की मोहलत की मांग को खारिज कर दिया गया। उधर, बीएमसी ने हेबिटेट स्टूडियो के कुछ हिस्सों को अवैध निर्माण बताकर तोड़ दिया, जिसके बाद स्टूडियो ने अपनी गतिविधियां बंद करने की घोषणा की। यह विवाद अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और राजनीतिक व्यंग्य की सीमाओं पर बहस का मुद्दा बन गया है।