अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट से आज हटेगा सस्पेंस, इन प्रत्याशियों की उम्मीदवारी तय; बस घोषणा बाकी

अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट से आज हटेगा सस्पेंस

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को लेकर सस्पेंस आज नामांकन की समय सीमा से ठीक एक दिन पहले खत्म हो जाएगा। उम्मीद है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे आज दोनों सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करेंगे।

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की क्रमश: अमेठी और रायबरेली से उम्मीदवारी को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। राहुल गांधी को 2019 में अमेठी में भाजपा की स्मृति ईरानी से अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा था। इस बार फिर उनके से वहां से चुनाव लड़ने की उम्मीद है। राहुल गांधी केरल के वायनाड लोकसभा सीट से भी उम्मीदवार हैं। यहां पर दूसरे चरण में वोटिंग हो गई।

2004 से सोनिया गांधी के प्रभुत्व वाले रायबरेली सीट पर प्रियंका गांधी वाड्रा के उतरने की उम्मीद है। हालांकि, पार्टी के भीतर चर्चा से है कि वंशवादी राजनीति के आरोप को देखते हुए संसद में गांधी परिवार के तीनों सदस्यों को मैदान में उतारने में झिझक रही है। भाजपा अक्सर इसका आरोप लगाती दिखती है।

फैसला अब सीईसी पर छोड़ दिया गया

घोषणा में देरी के बावजूद कांग्रेस नेताओं ने बुधवार को आश्वस्त किया कि पार्टी विचलित नहीं है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा कि कोई डर नहीं है और चर्चा जारी है। नामांकन की आखिरी तारीख कल (3 मई) है। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा, “गांधी परिवार बहुत लोकप्रिय हैं और उनकी सार्वजनिक बैठकों में लाखों लोग आ रहे हैं। फैसला अब सीईसी पर छोड़ दिया गया है।”

अमेठी निर्वाचन क्षेत्र गांधी परिवार की राजनीतिक विरासत का पर्याय रहा है। इसका प्रतिनिधित्व 2004 से राहुल गांधी ने 2019 में अपनी हार तक किया है। इसी तरह, रायबरेली गांधी परिवार का गढ़ रहा है, जिसका प्रतिनिधित्व सोनिया गांधी ने 2004 से 2024 तक किया है।

नेहरू-गांधी परिवार का पुश्तैनी सीट

इंदिरा गांधी के पति और कांग्रेस नेता फिरोज गांधी ने 1952 और 1957 में दो बार रायबरेली से जीत हासिल की। ​​पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के पोते अरुण नेहरू ने 1980 के उपचुनाव और 1984 में जीत हासिल की। ​​जवाहरलाल नेहरू की भाभी शीला कौल 1989 और 1991 में जीत हासिल की। ​​नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों ने केवल दो मौकों पर 1962 और 1999 में इस सीट से चुनाव लड़ने से परहेज किया।

समाजवादी पार्टी और अन्य क्षेत्रीय संगठनों के साथ गठबंधन में कांग्रेस यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 17 पर चुनाव लड़ रही है। इन प्रमुख निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवारों का चयन विपक्षी इंडिया ब्लॉक के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।

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