नई दिल्ली। केरल के वायनाड जिले में मंगलवार को हुए भीषण भूस्खलन में मरने वालों की संख्या शुक्रवार को 300 का आंकड़ा पार कर गई और बचावकर्मी जीवित बचे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। कई लोग अभी भी ढही हुई इमारतों और मलबे के नीचे फंसे हुए हैं। वायनाड के पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन में अब तक 308 लोगों की मौत हो चुकी है।
बचाव अभियान चौथे दिन में प्रवेश कर गया। जीवित बचे लोगों को खोजने के लिए ड्रोन-आधारित रडार भी शामिल किया जाएगा। हादसे में 200 से अधिक लोगों को चोटें आईं, क्योंकि बचाव कार्य विभिन्न चुनौतियों के कारण बाधित हुआ है। इनमें नष्ट हुई सड़कों और पुलों के कारण जोखिम भरे इलाके और भारी उपकरणों की कमी शामिल थी, जिससे आपातकालीन कर्मियों के लिए कीचड़ और गिरे हुए पेड़ों को हटाना मुश्किल हो गया।
वायनाड बचाव अभियान
भारतीय सेना, एनडीआरएफ, तटरक्षक बल और भारतीय नौसेना की एक संयुक्त टीम प्रभावित क्षेत्रों में तलाशी करेगी। प्रत्येक टीम में तीन स्थानीय लोग और एक वन विभाग का कर्मचारी होगा।
बचाव कर्मियों की चालीस टीमें बचाव अभियान चलाने के लिए खोज क्षेत्रों को छह क्षेत्रों में विभाजित करेंगी। पहले क्षेत्र में अट्टामाला और अरनमाला शामिल हैं। मुंडक्कई दूसरा जोन है, पंजिरीमट्टम तीसरा जोन है, वेल्लारमाला विलेज रोड चौथा जोन है, जीवीएचएसएस वेल्लारमाला पांचवां जोन है और चलियार नदी का बहाव छठा जोन है।
नदी के आसपास के आठ पुलिस स्टेशनों के पुलिसकर्मी और तैराकी में विशेषज्ञ स्थानीय लोग भी तलाशी में भाग लेंगे। हेलीकाप्टर का उपयोग करके समानांतर खोज की जाएगी।
भूस्खलन के कारण संरचना ढहने के बाद 25 एम्बुलेंस रिकॉर्ड समय में भारतीय सेना द्वारा बनाए गए बेली ब्रिज को पार करके मुंडक्कई तक जाएंगी। जीवित बचे लोगों की तलाश के लिए दिल्ली से एक ड्रोन-आधारित रडार शनिवार को पहुंचेगा।