आखिर कौन हैं ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर्पूरी ठाकुर, राजनीति में क्या है उनकी भूमिका और कैसे बने जननायक?

कौन हैं 'भारत रत्न' से सम्मानित कर्पूरी ठाकुर

कौन हैं ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर्पूरी ठाकुर- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, सामाजिक न्याय के पुरोधा और लोगों के जननायक कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा। कर्पूरी ठाकुर की 100वी जयंती से एक दिन पहले मंगलवार को राष्ट्रपति भवन की ओर से यह ऐलान किया गया कि ‘जननायक’ के नाम से प्रसिद्ध कर्पूरी ठाकुर स्वतंत्रता सेनानी और शिक्षक भी रहे। कर्पूरी ठाकुर बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। वह बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री पद पर पहुंचे थे।

जानिए कौन थे कर्पूरी ठाकुर?

कर्पूरी ठाकुर को बिहार के सियासत में सामाजिक न्याय की अलख जगाने वाला ‘जननायक’ माना जाता है। कर्पूरी ठाकुर साधारण नाई परिवार में जन्मे थे और ऐसा कहा जाता है कि कर्पूरी ठाकुर ने पूरी जिंदगी कांग्रेसी विरोधी राजनीति की। इस तरह उन्होंने अपना सियासी मुकाम हासिल किया। यहां तक कि आपातकाल के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद भी इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार नहीं करवा सकी थीं।

डिप्टी सीएम बनते ही बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता की खत्म

कर्पूरी ठाकुर 1952 में पहली बार विधानसभा से चुनाव जीते और वर्ष 1967 में उपमुख्यमंत्री बनते ही बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म कर दी। उसके बाद 1970 में मायाप्रसाद की कैबिनेट में शिक्षा मंत्री बने। कैबिनेट शिक्षा मंत्री बनते ही आठवीं तक की शिक्षा अंग्रेजी मुक्त कर दी और वहीं, राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बना दिया और उर्दू को दूसरी भाषा का दर्जा दिया।

1971 में मुख्यमंत्री बने थे कर्पूरी ठाकुर

कौन हैं ‘भारत रत्न’ से सम्मानित कर्पूरी ठाकुर- वहीं, 1971 में वे पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने किसानों को बड़ी राहत देते हुए गैर-लाभकारी जमीन पर मालगुजारी टैक्स खत्म कर दिया और 1977 में मुख्यमंत्री बनने के बाद नौकरियों में गरीबों और पिछड़े और अति पिछड़ों के आरक्षण के लिए मुंगेरीलाल कमीशन की सिफारिशें लागू की, जिससे बिहार के सियासत में आमूलचूल परिवर्तन आया। इसके बाद से ही कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ और वह बिहार की सियासत में समाजवाद का बड़ा चेहरा बन गए।

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