तेहरान। इजरायल और अमेरिका के हवाई हमलों से कमजोर हुई अपनी वायुसेना को मजबूत करने के लिए ईरान अब चीन से चेंगदू J-10C फाइटर जेट खरीदने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। रूस से Su-35 जेट की आपूर्ति में देरी के बाद ईरान ने यह रणनीतिक निर्णय लिया है। 2023 में रूस के साथ 50 Su-35 जेट के सौदे में केवल चार जेट की डिलीवरी हुई, जिससे ईरान का ध्यान J-10C की ओर मुड़ा, जो पाकिस्तान ने मई 2025 में भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया था। यह जेट PL-15 मिसाइलों के साथ आता है और इसकी कीमत Su-35 से 40-60 मिलियन डॉलर कम है।
ईरान की वायुसेना में करीब 150 पुराने जेट हैं, जिनमें 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले के अमेरिकी F-4, F-5, F-14 और कुछ सोवियत MiG-29 शामिल हैं। ये जेट तकनीकी रूप से कमजोर हैं और इजरायल के F-35, F-16, और F-15 के सामने टिक नहीं पाए। हाल ही में लड़ाई में ईरान की हवाई रक्षा नाकाम रही, जिसमें इजरायल ने उसके परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इस युद्ध में ईरान को अपनी वायुसेना का 30% नुकसान होने का अनुमान है।
ईरान ने 36 जेट के लिए बातचीत फिर शुरू की
J-10C, जिसे ‘विगरस ड्रैगन’ कहा जाता है, में उन्नत AESA रडार और PL-15 लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, जो इसे बहु-भूमिका निभाने में सक्षम बनाती हैं। पाकिस्तान की वायुसेना ने इस जेट का उपयोग भारत के राफेल जेट के खिलाफ किया, जिससे इसकी युद्धक क्षमता सिद्ध हुई। 2015 में ईरान और चीन के बीच 150 J-10 जेट के सौदे की बात शुरू हुई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंध और भुगतान विवाद के कारण यह रुक गया। 2020 में प्रतिबंध हटने के बाद, अब 36 जेट के लिए बातचीत फिर शुरू हुई है।
24 जून 2025 को अमेरिका ने चीन को ईरान से तेल खरीदने की छूट दी, जिससे सौदा संभव हुआ। यह कदम मध्य पूर्व में चीन के बढ़ते प्रभाव और ईरान की रक्षा जरूरतों को दर्शाता है।