म्यांमार में भूकंप से मरने वालों की संख्या 694 हुई, भारत ने सहायता भेजने के लिए शुरू किया ऑपरेशन ‘ब्रह्मा’

नई दिल्ली। म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप ने म्यांमार और थाईलैंड में भारी तबाही मचाई। इस भूकंप का केंद्र म्यांमार के सागाइंग क्षेत्र के पास था, जो मांडले से लगभग 16 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। भूकंप इतना जोरदार था कि इसके झटके 900 किलोमीटर दूर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक महसूस किए गए।

इस प्राकृतिक आपदा ने दोनों देशों में सैकड़ों लोगों की जान ले ली और कई इमारतों को ध्वस्त कर दिया। म्यांमार में मृतकों की संख्या 694 तक पहुंच गई है, जबकि थाईलैंड में भी कई लोगों के मारे जाने की खबर है। राहत और बचाव कार्य तेजी से जारी हैं, लेकिन क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे और संचार व्यवस्था के ठप होने से चुनौतियां बढ़ गई हैं।

म्यांमार के मांडले शहर में सबसे ज्यादा तबाही

म्यांमार के मांडले शहर में भूकंप का सबसे ज्यादा असर देखा गया, जहां कई इमारतें ढह गईं और ऐतिहासिक 90 साल पुराना अवा ब्रिज इरावदी नदी में गिर गया। एक मस्जिद के आंशिक रूप से ढहने से तीन लोगों की मौत हो गई। मांडले में बचावकर्मी मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए नंगे हाथों से काम कर रहे हैं।

म्यांमार की सैन्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की है, जो इस अलग-थलग पड़े देश के लिए एक दुर्लभ कदम है। देश में चल रहे गृहयुद्ध और सैन्य नियंत्रण के कारण सटीक जानकारी जुटाना मुश्किल हो रहा है। नायपीडॉ में भी सड़कों पर दरारें पड़ गईं और कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं।

बैंकॉक में 100 लोग मलबे में फंसे

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक निर्माणाधीन गगनचुंबी इमारत ढह गई, जिसमें छह मजदूरों की मौत हो गई और करीब 100 लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं। चतुचक जिले में हुए इस हादसे में तीन मजदूरों की मौत की पुष्टि हुई, जबकि बचाव कार्य में भारी मशीनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। भूकंप के झटकों से ऊंची इमारतों से पानी बाहर निकल आया और लोग घरों से बाहर भागे। थाईलैंड में दो इमारतों को खाली कराया गया और 2,000 से अधिक इमारतों की जांच की योजना है।

पीएम मोदी ने दिया था सहायता का आश्वासन

भारत ने म्यांमार को 15 टन राहत सामग्री भेजी है, जिसमें भोजन, सोलर लैंप और रसोई के सामान शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहायता का आश्वासन दिया है। इस भूकंप ने म्यांमार की पहले से ही नाजुक स्थिति को और जटिल बना दिया है, जहां गृहयुद्ध और संसाधनों की कमी पहले से ही संकट पैदा कर रही थी। विशेषज्ञों का कहना है कि सागाइंग फॉल्ट के कारण यह क्षेत्र भूकंप के लिए संवेदनशील है। मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

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