संदेशखाली केस- सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखाली मामले में प्रिविलेज कमेटी की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। मामले में बड़ा दखल करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह फैसला लिया गया है। बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। दरअसल, संसद की विशेषाधिकार समिति के नोटिस को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने याचिका दर्ज की है। सांसदों से दुर्व्यवहार के मामले पर प्रिविलेज कमेटी ने 19 फरवरी को पश्चिम बंगाल के चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और संबंधित जिले के डीएम एसपी और थानाध्यक्ष को समन जारी कर पेश होने का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने संदेशखली मामले से जुड़ी पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई की। सरकार की तरफ से इस दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए थे। सिब्बल ने कहा कि प्रिविलेज कमेटी के लिए राजनीतिक गतिविध कभी भी सुनवाई का आधार नहीं होती हैं। बता दें कि सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच द्वारा इस मामले की सुनवाई की गई।
सरकार की ओर से सिब्बल ने कहा कि चीफ सेकेट्री, डीएम और पुलिस कमिश्नर मौके पर मौजूद नहीं थे। इसके बावजूद भी उन्हें कमेटी ने तलब किया। वहीं मनु सिंघवी ने कहा कि झारखंड में भी इस तरह का एक मामला सामने आया था, जहां अदालत द्वारा राहत दी गई थी। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जो शिकायत दर्ज कराई गई है वो पूरी तरह से गलत कहानी पर आधारित है।
दुर्व्यवहार को लेकर बीजेपी ने खटखटाया था SC का दरवाजा
बता दें कि संदेशखाली में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव, डीजीपी और तीन अन्य अधिकारियों ने लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी विशेषाधिकार हनन नोटिस को चुनौती देते हुए बीजेपी सांसद सुकांत मजूमदार के खिलाफ कथित दुर्व्यवहार पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने प्राथमिकता से सुनवाई की थी क्योंकि पीठ को याचिकाकर्ताओं ने सूचित किया था कि उन्हें सुबह 10.30 बजे लोकसभा में पेश होना है।
बीजेपी की महिला सदस्य ने दिया था सांसद को धक्का
कपिल सिब्बल ने कहा कि इस घटना में पश्चिम बंगाल के 38 पुलिस अधिकारी घायल हुए थे, जिसमें 8 महिला पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वो वीडियो दिखा सकते हैं कि जिसमे बीजेपी की एक महिला सदस्य ने सांसद को धक्का दिया है और इसी कारण से उन्हें चोट भी आई थी। संसद की विशेषाधिकार समिति के नोटिस पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। साथ ही लोकसभा सचिवालय को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है और चार हफ्तों में जवाब मांगा है।