नई दिल्ली। 2023 में संसद द्वारा पारित किए गए तीन नए आपराधिक कानून 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगे। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) सोमवार से भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (आईईए) की जगह लेगा। इसे 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति मिली थी।
कानूनी विशेषज्ञों और न्यायविदों ने इन कानूनों का मसौदा तैयार करने के लिए गृह मंत्रालय (एमएचए) द्वारा गठित पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के कामकाज में पारदर्शिता की कमी पर सवाल उठाया है। उन्होंने बताया है कि कैसे नए दंडात्मक प्रावधान पुलिस की शक्तियों को विस्तारित करते हैं और नागरिक स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं।
संहिता को लेकर कई चीजें स्पष्ट नहीं
उदाहरण के लिए, एक महत्वपूर्ण विफलता यह है कि इसमें स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या नई आपराधिक संहिता 15 दिन की सीमा से अधिक पुलिस हिरासत की अनुमति देती है या क्या यह सिर्फ एक प्रावधान है जो 15 दिन की अवधि को पहले 40 या 60 के भीतर किसी भी दिन तक बढ़ाने की अनुमति देता है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें नए कानूनों के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग की गई है, जिसमें बताया गया है कि इन्हें संसद में विस्तृत बहस या प्रभावी चर्चा के बिना पारित किया गया था, क्योंकि बड़ी संख्या में विपक्ष के सदस्यों को निलंबित कर दिया गया था।