नई दिल्ली। पीएम मोदी इन दिनों चुनावी रैलियों में कांग्रेस के घोषणापत्र पर जमकर सवाल खड़े कर रहे हैं। वे कहते हैं, “कांग्रेस का घोषणापत्र यही कहता है कि वे (हमारी) माताओं और बहनों के पास जो सोना है उसका पता लगाएंगे, उसका आकलन करेंगे और फिर वे उस धन को बाकी लोगों में बांट देंगे। वे इसे उन लोगों को देंगे जो डॉ. मनमोहन सिंह कहते थे। पीएम मोदी ने कहा, “मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है।”
वहीं कांग्रेस ने पीएम मोदी के इस बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि पीएम रैलियों में कांग्रेस को लेकर सरासर झूठ बोल रहे हैं। वह कांग्रेस के घोषणापत्र को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं, जबकि इसमें वैसी बाते लिखी ही नहीं है। वहीं सैम पित्रोदा के ‘विरासत कर’ वाले बयान से मामले ने अधिक तूल पकड़ लिया है। हमने पीएम मोदी के बयान और कांग्रेस के घोषणापत्र पर फैक्ट चेक किया तो इसमें चौंकानेवाली बात सामने आई।
कांग्रेस ने जातिगत जनगणना की बात कही
2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने आय असमानता, भारत की संपत्ति, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों और सरकारी भूमि और संसाधनों के आवंटन के संबंध में कई बातें कही हैं।
घोषणापत्र के एक बिंदु में कहा गया है, “कांग्रेस जातियों और उप-जातियों और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थितियों की गणना करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना आयोजित करेगी। आंकड़ों के आधार पर हम सकारात्मक कार्रवाई के एजेंडे को मजबूत करेंगे, जिसे ‘न्याय पत्र’ कहा जाता है।
अल्पसंख्यकों के आर्थिक सशक्तिकरण की बातें
एक अन्य बिंदु में कांग्रेस का कहना है, “भारत की पूरी क्षमता का एहसास करने के लिए अल्पसंख्यकों का आर्थिक सशक्तिकरण करना एक आवश्यक कदम है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बैंक बिना किसी भेदभाव के अल्पसंख्यकों को संस्थागत ऋण प्रदान करेंगे।”
उपर्युक्त बातों के अलावा कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहीं भी यह दावा नहीं किया है कि वह अमीरों की संपत्ति जब्त कर गरीबों में बांटेगी। पार्टी ने डेटा इकट्ठा करने और उसके अनुसार सकारात्मक कार्रवाई नीति लागू करने के लिए जाति जनगणना का वादा किया है। राहुल गांधी ने जनगणना को भारत का ‘एक्स-रे’ कहा है, जिसके बारे में पार्टी का मानना है कि इससे उन्हें नीति निर्माण में मदद मिलेगी।
महिलाओं के सोने छीनकर बांटने की बात गलत
पार्टी के घोषणापत्र में कहा गया है कि वह नीतियों में उपयुक्त बदलावों के माध्यम से धन और आय की बढ़ती असमानता का समाधान करेगी। घोषणापत्र में ‘कल्याण’ खंड के अंतर्गत एक बिंदु में संसाधनों पर ‘प्रथम शुल्क’ का भी उल्लेख किया गया है। इसमें उल्लेख किया गया है कि भारत में लगभग 22 करोड़ लोग गरीब हैं और उनके शासन के तहत गरीबों का कल्याण सभी सरकारी संसाधनों पर पहला भार होगा। लेकिन इसमें भारतीय महिलाओं सोने के सर्वेक्षण या उसे बांटने की बात नहीं कही गई है।