खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या- चेक गणराज्य की अदालत ने फैसला सुनाया है कि 52 वर्षीय भारतीय निखिल गुप्ता को अमेरिका में प्रत्यर्पित किया जा सकता है। निखिल गुप्ता पर संयुक्त राज्य अमेरिका ने सिख अलगाववादी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू को मारने के कथित प्रयास में शामिल होने का आरोप लगाया है। हालांकि गुप्ता के प्रत्यर्पण के लिए अभी भी चेक गणराज्य के कानून मंत्री पावेल ब्लेजेक की मंजूरी की आवश्यकता होगी।
गुप्ता को द्विपक्षीय यूएस-चेक प्रत्यर्पण संधि के आधार पर पिछले साल जून में प्राग में हिरासत में लिया गया था। चेक न्यूज वेबसाइट के मुताबिक, गुप्ता अब प्राग की पैंक्रैक जेल में हैं। प्राग हाईकोर्ट ने इस सप्ताह एक बंद सुनवाई के दौरान प्रथम दृष्टया अदालत द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा। पन्नू का जिक्र करते हुए गुप्ता के वकील पेट्र स्लेपिक्का ने प्राग उच्च न्यायालय में अपनी दलील में कहा, “भारत सरकार की राय में, वह भारत गणराज्य की सुरक्षा के लिए खतरा है और ओसामा बिन लादेन के समान खतरा है।”
यूएस प्रत्यर्पित न करने की करेंगे अपील
न्याय मंत्रालय के प्रवक्ता व्लादिमीर सेप्का ने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि गुप्ता के प्रत्यर्पण के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में कितना समय लगेगा। सेजनाम जप्रावी के अनुसार, सेप्का ने कहा, “मंत्री के निर्णय की समय सीमा की अभी भविष्यवाणी नहीं की जा सकती।” इस बीच, गुप्ता के वकील पेट्र स्लेपिका ने कहा कि वे अभी भी संवैधानिक न्यायालय में शिकायत दर्ज करेंगे। वकील ने कहा, “हम एक संवैधानिक शिकायत दर्ज करेंगे और साथ ही हम न्याय मंत्री से मेरे मुवक्किल को अमेरिका में प्रत्यर्पित न करने के लिए कहेंगे।”
कौन हैं गुरपतवंत सिंह पन्नू
खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या- पेशे से वकील पन्नू का परिवार पहले पंजाब के नाथू चक गांव में रहता था, जो बाद में अमृतसर के पास खानकोट में बस गया। पन्नू के पिता महिंदर सिंह पंजाब मार्केटिंग बोर्ड के सचिव थे। 1990 के दशक में पन्नू ने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। वे अपने कॉलेज के दिनों से ही वे छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए थे। 2020 में भारत सरकार ने उसे आतंकवादी घोषित कर दिया|