BJP के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न, पीएम मोदी ने की घोषणा; जानें कैसा रहा उनका राजनीतिक सफर

लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न

लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न- बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा हुई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, “मुझे यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। मैंने उनसे बात भी की और उन्हें यह सम्मान दिए जाने पर बधाई दी।” बता दें, हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न दिए जाने की घोषणा हुई थी।

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवम्बर 1927 को हुआ था। वह बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं। बीजेपी को भारतीय राजनीति में एक प्रमुख पार्टी बनाने में उनका योगदान सर्वोपरि रहा है। वे कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। जनवरी 2008 में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन ने लोकसभा चुनावों को आडवाणी के नेतृत्व में लड़ने तथा जीत होने पर उन्हें प्रधानमन्त्री बनाने की घोषणा की थी। लालकृष्ण आडवाणी कभी पार्टी के कर्णधार कहे गए, कभी लौह पुरुष और कभी पार्टी का असली चेहरा। कुल मिलाकर पार्टी के आजतक के इतिहास का अहम अध्याय लालकृष्ण आडवाणी रहे।

वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे। वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व सम्भाला। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने सम्भाला।

1990 में निकाली राम रथ यात्रा

इसी दौरान वर्ष 1990 में राम मन्दिर आन्दोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए राम रथ यात्रा निकाली। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ्तार कर लिया गया। इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया। 1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुंचा दिया था। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है। उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है।

पार्टी में उनकी भूमिका

लालकृष्ण आडवाणी को मिलेगा भारत रत्न- लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार केन्द्रीय सरकार में कैबिनेट मन्त्री की हैसियत से लालकृष्ण आडवाणी ने दायित्व सम्भाला। आडवाणी इस दौरान सूचना प्रसारण मन्त्री रहे। लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केन्द्रीय गृहमन्त्री बने और फिर इसी सरकार में उन्हें 29 जून 2002 को उपप्रधानमन्त्री पद का दायित्व भी सौंपा गया। 2014 में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया।

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