नई दिल्ली। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को दावा किया कि राज्य 2041 तक मुस्लिम बहुल बन जाएगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम आबादी हर 10 साल में लगभग 30 प्रतिशत बढ़ रही है। सरमा ने कहा कि सांख्यिकीय नमूने के अनुसार मुस्लिम अब असम की आबादी का 40 प्रतिशत हो गए हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, “असम में मुसलमानों की जनसंख्या में वृद्धि एक सांख्यिकीय तथ्य है। मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर हिंदुओं की तुलना में बहुत अधिक है और इस दर से वे 2041 तक बहुसंख्यक हो जाएंगे। सरमा ने यह भी कहा कि इसी अवधि में मुसलमानों की वृद्धि की तुलना में हिंदुओं की आबादी हर 10 साल में लगभग 16 प्रतिशत बढ़ रही है।”
हिंदू आबादी में 16 प्रतिशत की वृद्धि
उन्होंने कहा, “हिंदू आबादी में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2011 में असम की आबादी में मुसलमानों की संख्या 1.40 करोड़ थी। हर 10 साल में मुस्लिम आबादी में 30 प्रतिशत की वृद्धि होती है। हर दशक में मुस्लिम आबादी हिंदू आबादी से 16 प्रतिशत अधिक हो रही है। हर दशक में 22 लाख मुस्लिम आबादी बढ़ती है।”
सरमा की टिप्पणी पर कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद दानिश अली ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिन्होंने मुख्यमंत्री पर झूठ फैलाने और लोगों के बीच विभाजन पैदा करने का आरोप लगाया। जनगणना के आंकड़ों का हवाला देते हुए अली ने कहा कि असम में मुस्लिम आबादी 1951 में लगभग 25 प्रतिशत और 2011 में 34.22 प्रतिशत थी।
असम के क्षेत्र से नए राज्यों के गठन को बताया जिम्मेदार
उन्होंने स्पष्ट वृद्धि के लिए असम के क्षेत्र से नए राज्यों के गठन को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय शामिल थे, जहां गैर-मुस्लिम आबादी बहुमत में थी। 1951 के आधार पर तत्कालीन असम एक एकीकृत राज्य था। यानी इससे चार और राज्य बनाए गए थे। अब यह स्पष्ट है कि इन राज्यों में गैर-मुस्लिम आबादी बहुसंख्यक थी, इसलिए मुस्लिम आबादी उसकी तुलना में बढ़ती देखी गई।
अली ने सरमा पर कटाक्ष करते हुए चुटकी ली, “मैं गंभीरता से सिफारिश करूंगा कि अगर हमारे देश में कोई है जो झूठ के लिए सबसे बड़े पुरस्कार का हकदार है, तो वह असम का मुख्यमंत्री होना चाहिए।”
गौरव गोगोई ने भी किया कटाक्ष
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरमा को उनका ही ट्रैक रिकॉर्ड याद दिलाया। लोकसभा चुनाव प्रचार का जिक्र करते हुए गोगोई ने कहा कि सरमा को दो महीने पहले ही असम के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में नाचते और गाते देखा गया था। गोगोई ने ट्वीट किया, “स्पष्ट रूप से जनसंख्या तब कोई कारक नहीं थी। दुर्भाग्य से भाजपा के पास 2024 के फैसले का कोई जवाब नहीं है। भारत के लोगों ने मंगलसूत्र और मंदिर की राजनीति को खारिज कर दिया है।”