नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन अब अपने अंतिम चरण में है। पहला मानवयुक्त मिशन जनवरी 2027 में लॉन्च होने की उम्मीद है। इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने सोमवार को घोषणा की कि मिशन की तैयारियां जोरों पर हैं, जिसमें 2025 के अंत में पहला मानवरहित परीक्षण उड़ान (जी1) शामिल है।
यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चौथा देश बना देगा, जो स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान की क्षमता रखता है। गगनयान का लक्ष्य तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की निचली पृथ्वी कक्षा में तीन दिन तक ले जाना और सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करना है।
जी1 उड़ान में मानव जैसा रोबोट ‘व्योममित्र’ भी जाएगा
मिशन के लिए चार भारतीय वायुसेना पायलटों—ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को प्रशिक्षित किया गया है। शुक्ला 2025 में नासा के साथ एक्सियॉम मिशन-4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) जाएंगे। जी1 उड़ान में मानव जैसा रोबोट ‘व्योममित्र’ ले जाया जाएगा, जो उपकरणों की निगरानी और जटिल कार्य करेगा। इसरो ने हाल ही में भारतीय नौसेना के साथ क्रू मॉड्यूल के रिकवरी ट्रायल पूरे किए, जिसमें विशाखापट्टनम तट पर वेल-डेक रिकवरी का परीक्षण किया गया।
मिशन में दो और मानवरहित उड़ानें जी2 और जी3 होंगी
गगनयान के लिए मानव-रेटेड लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एचएलवीएम3) तैयार है, जिसमें क्रू एस्केप सिस्टम और लाइफ सपोर्ट सिस्टम जैसे महत्वपूर्ण उपकरण शामिल हैं। इसरो ने यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के साथ संचार प्रणालियों का सफल परीक्षण भी किया। मिशन में दो और मानवरहित उड़ानें—जी2 और जी3—2026 में होंगी, जो मानव मिशन से पहले सभी प्रणालियों की विश्वसनीयता सुनिश्चित करेंगी।
गगनयान भारत के अंतरिक्ष स्टेशन की नींव रखेगा
मिशन की देरी का कारण कोविड-19 महामारी और आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटें रहीं, जिसने एवियोनिक्स और अंतरिक्ष-ग्रेड उपकरणों के उत्पादन को प्रभावित किया। गगनयान भारत के अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्र मिशनों की नींव रखेगा। सोमनाथ ने कहा कि यह मिशन न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा और वैज्ञानिक अनुसंधान का अवसर भी है।